अंग्रेजी कलेंडर के मुताबिक नए साल का पहला माह जारी है, जबकि हिन्दी माह के मुताबिक साल के अंतिम दो माह माघ और फागुन शेष हैं। शेष बचे ये दोनों महीने बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसी मान्यता है कि माघ माह में स्वयं भगवान धरती पर मानव रुप लेकर आते हैं। प्रयाग में स्नान कर जप, तप और दान करते हैं। इस माह दान का अपना अलग महत्व है, जिसे देवता भी छोड़ना नहीं चाहते।
यूं तो हिन्दू नववर्ष चैत्र माह से मां दुर्गा की उपासना के साथ शुरू होता है और पूरे 12 मास पवित्रता लिए होते हैं। लेकिन सही मायने में चैत्र के 6 माह बाद आने वाले क्वांर नवरात्रि से धर्म और आस्था का जो सिलसिला शुरू होता है, वह फागुन मास में होली त्यौहार के साथ समाप्त होता है। इसी बीच माघ का महीना जिसे साल का 11 वां मास कहा जाता है, सबसे ज्यादा पुण्य का होता है। इसका फल दानकर्म से मिलता है, इसलिए इस मास में दान की सार्थकता को प्रमाणित किया गया है, जिसमें देवताओं की भी सहभागिता होती है।
माघ माह को अत्यंत पवित्र माह माना जाता है। मघा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने के कारण इस माह का नाम माघ पड़ा। माघ शब्द का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है। इस माह कई धार्मिक पर्व आते हैं। मान्यता है कि माघ माह में देवता पृथ्वी पर आते हैं और मनुष्य रूप धारण कर प्रयाग में स्नान, दान और जप करते हैं। माघ माह को स्नान, जप, तप का माह माना जाता है। इस माह दान अवश्य करना चाहिए।