बिलासपुर। मध्यप्रदेश, हरियाणाा सहित अन्य राज्यों से शहर में बड़े पैमाने पर अंग्रेजी शराब की तस्करी हो रही है। इस अवैध कारोबार में आबकारी व पुलिस विभाग की भूमिका भी संदिग्ध है। यही वजह है कि पुलिस तस्करी करने वाले इन माफियाओं को पकड़ने के बजाए सिर्फ खानापूर्ति कर रही है। शहर के बार व होटलों में मध्यप्रदेश व दूसरे राज्यों के शराब की खपत हो रही है।
दरअसल, शासकीय शराब दुकानों में अंग्रेजी शराब के चिन्हित ब्रांड ही बिक रहे हैं। ऐसे में महंगे शराब के शौकीनों को अपना ब्रांड नहीं मिल रहा है। जबकि, बार में मध्यप्रदेश व हरियाणा के महंगे शराब आसानी से उपलब्ध है। बीते दिनों आबकारी विभाग की टीम ने नेहरू नगर में दबिश देकर महंगे शराब के साथ दो युवकों को गिरफ्तार किया था।
इनमें से एक केंद्रीय रिजर्व बल का आरक्षक था, जो लंबे समय से शराब की तस्करी कर रहा था। इसी तरह आबकारी विभाग की टीम ने ड्राई डे के दिन कोतवाली क्षेत्र के सदरबाजार व तोरवा के जगमल चौक के पास दबिश देकर मध्यप्रदेश व हरियाणा के शराब के साथ दो आरोपितों को पकड़ा था।
ऐसे में सवाल उठता है कि इन युवकों के पास दूसरे राज्यों की शराब कहां से और कैसे पहुंची। आबकारी विभाग ने भी इसकी पतासाजी तक नहीं की। बल्कि, पकड़े गए युवकों के खिलाफ आबकारी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर खानापूर्ति कर ली। बताते हैं कि इन युवकों के पीछे शराब माफियाओं व बार संचालकों का हाथ है। लेकिन, आबकारी विभाग तस्करों तक पहुंचने की कोशिश ही नहीं कर रही है।
पुलिस की भूमिका भी है संदिग्ध
इस तरह से दूसरे राज्यों से महंगे शराब की तस्करी होने से शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है। शहर के शराब माफियाओं का कारोबार मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों में संचालित है। यही वजह है कि चोरी-छिपे शहर में दूसरे राज्यों से शराब की सप्लाई हो रही है। इन मामलों में आबकारी विभाग के साथ ही पुलिस की मिलीभगत होने की आशंका है। यही वजह है कि पुलिस इन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है। हालाकि, एडिशनल एसपी उमेश कश्यप का कहना है कि बाहरी राज्यों से शराब सप्लाई करने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। पूर्व में गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के सीमावर्ती क्षेत्रों में पुलिस ने कार्रवाई की थी। सूचना मिलने पर शराब तस्करों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।