भिलाई। बीएसपी के जितने भी कार्मिकों को कोरोनाकाल के दौरान निजी अस्पतालों में इलाज के लिए दाखिल किया गया है, उन अस्पतालों को किए गए बिलों के भुगतान की जांच की जाए। एक मामले में जांच के दौरान जिला प्रशासन ने साफ कर दिया है कि निजी अस्पताल बीएसपी से करीब दो लाख रुपए अधिक लिया है। इसके बाद ही यह मांग प्रबंधन से की जा रही है ताकि बीएसपी को निजी अस्पताल कर्मियों के इलाज के नाम पर लाखों का चूना न लगा दें।
बीएसपी के एक युवा कर्मचारी को इलाज के लिए सेक्टर-9 अस्पताल में दाखिल किया गया। जहां से प्रबंधन ने निजी अस्पताल के लिए रेफर किया। इलाज के दौरान उक्त कर्मचारी की मौत हो गई। तब परिवार ने कलेक्टर और चीफ मेडिकल हेल्थ ऑफिसर से मामले की जांच करने मांग की। जांच में पाया गया कि उक्त मामले में बीएसपी से निजी अस्पताल ने करीब 1.92 लाख रुपए अधिक वसूला है।
मृतक के पिता ने बीएसपी सीईओ अनिर्बान दासगुप्ता से मांग किया है कि जिस तरह से जिला प्रशासन ने कोरोना मरीजों के लिए तय शुल्क को सामने रख बेड, आईसीयू व दवा के खर्च की जांच की है। वैसे ही बीएसपी प्रबंधन जितने भी कर्मचारी को रेफर किया गया, उनके बिलों की जांच करने के बाद ही बिलों का भुगतान करे। इससे बीएसपी का करोड़ों रुपए बचेगा।
भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मियों को सेक्टर-9 अस्पताल से विभिन्न अस्पतालों में रेफर किया गया। जिसमें भिलाई के साथ-साथ रायपुर के अस्पताल भी शामिल हैं। इन कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए शासन से तय गाइड लाइन के मुताबिक ही शुल्क लिया जाना है। शासन से तय नियम से अधिक बिल मांगने पर प्रबंधन को केवल एक पत्र ही जिला प्रशासन को लिखना होता है।
एक पीडित ने बच्चे की मौत के बाद मामले में जांच करने जिला प्रशासन को पत्र लिखा और बीएसपी से अधिक बिल लेने की बात सामने आ गई। तब प्रबंधन को खुद मामले को संज्ञान में लेकर तमाम मरीजों से निजी अस्पताल जो बिल ले रहे हैं, उसकी जांच करवाना था, इससे बीएसपी को ही आर्थिक लाभ होगा।