*लाला सिंह ठाकुर बेमेतरा*
कोरोना(कोविड-19) संकटकाल में बेरला जनपद के कई पंचायतों में खूब हुआ कमाई का कालाखे*
*प्रशासन पंचायत द्वारा महामारी कोविड-19 व्यवस्था में खर्च राशि पर जांच के दायरे में, आरटीआई से हो सकते है, कई अहम खुलासे*
बेरला:- जनपद पंचायत बेरला अन्तर्गत कई ग्राम पंचायतों में कोरोनाकाल के दौरान में बड़ी वित्तीय अनियमितता की बात सामने आ रही है।जिसमे कई पंचायत प्रशासन द्वारा कोरोना संकटकाल के दौरान महामारी कोविड-19) की व्यवस्था हेतु की गई खर्च राशि में काफी असमानता व अनियमितता देखी जा रही है।लिहाजा ऐसे पंचायतों में कोविड व्यवस्था के खर्च का पूरा हिसाब-किताब व ब्यौरा शासन-प्रशासन के जिम्मेदार अफसरों को देना पड़ सकता है।साथ ही वित्तीय अनियमितता के मामले में जांच व कार्यवाही की संभावना बढ़ सकती है।बेरला जनपद पंचायत क्षेत्र के ऐसे कई पंचायत प्रशासन जांच के दायरे में आ सकते है, जिसका खुलासा आरटीआई व अफसरों की जांच में हो सकता है।
गौरतलब हो कि विगत वर्ष नावेल कोविड-19 महामारी के कारण पूरे देश-दुनियाभर में कोरोनाकाल लगा हुआ था।जिसके मद्देनजर विभिन्न प्रशासनिक सिस्टम में काफी बदलाव देखा गया।आम नागरिकों की सेहत व जान की सुरक्षा एवं महामारी से बचाव हेतु कई कड़े दिशानिर्देश व व्यवस्था हेतु नीति बनाई गई।जिनमे से कोरोनाकाल के दौरान प्रवासी मजदूरों का मामला काफी समय तक चर्चित रहा।रोजगार की तलाश में मूलगांव छोड़कर परदेश जा चुके प्रवासी मज़दूर रोजगार खत्म होने व कोरोना फैलने के डर से अपने मूल गाँव लौटे।जहां पर स्थानीय पंचायत प्रशासन को उनकी व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी दी गयी थी।जिसके तहत गांव लौटने के बाद अगले 14 दिन तक स्थानीय विद्यालयों को पृथकवास केंद्र बनाकर वहां क्वारन्टीन रहकर गुजारने पड़े थे।इस दौरान उन प्रवासी मज़दूरों को खाने-पीने व रहने के लिए चौदहवे वित्त की राशि खर्च करने की सलाह प्रशासन द्वारा दी गयी थी।जिसमे से अभी बड़ी गम्भीर बात निकलकर सामने आ रही है।कोरोनाकाल का भीषण दौर कई पंचायत प्रशासनों के लिए असंवैधानिक रूप से पैसा कमाने का बेहतरीन अवसर बन गया।जिसको लेकर अब स्थानीय ग्राम पंचायत से लेकर जनपद पंचायत क्षेत्र तक चर्चा का बाज़ार गर्म है।सूत्रों की माने तो इस अवसर का लाभ लेने कुछ पंचायतों में फ़र्ज़ी बिल लगाकर पैसा आहरण किया गया है।जिसमे जानकारी मांगने पर प्रवासियों मज़दूरों के लिए उत्तम व्यवस्था देने की बात की जा रही है।जबकि हकीकत में उस दौर की व्यवस्था की पड़ताल की जाए तो प्रवासी मज़दूरों की व्यवस्था कई पंचायतों में निम्न व सामान्य स्तर की थीं।जिसके एवज में काफी आर्थिक अनियमितता सामने आ सकती है, जिसका खुलासा आरटीआई कार्यकर्ताओं व आवेदकों द्वारा हो सकता है।जिस पर विभागीय जांच व कार्यवाही भी होने की सम्भावना है।* *व्यवस्था के नाम पर हुई है शासकीय पैसों की लूट*
विदित हो कि कोरोना संकटकाल के दौरान शासन-प्रशासन के निर्देश पर प्रवासी मज़दूरों को व्यवस्था हेतु एवं कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु खर्च राशियों में काफी पैसा निकाला गया है।जिसमे मास्क सेनेटाइजर व साबुन वितरण व मज़दूरों के लिए खान-पान, रजाई, पंखा-कूलर इत्यादि के नाम पर फ़र्ज़ी बिल बनाये जाने की खबर सूत्रों से लगातार मिल रही है।वही जानकारी यहाँ तक है कि लाखों रुपये से खरीदे गए सामानों व उपकरणों में से अधिकांश वर्तमान में प्रशासन के पास मौजूद नही है।जिसमे पंचायत अंतर्गत सरपँच-सचिव की भूमिका होने को नकारा नही जा सकता है।परिणामस्वरूप चर्चा का बाज़ार गर्म है कि आपदा काल को जनपद अन्तर्गत कुछ पंचायतों में अवसर में बदलने का कार्य किया गया है।
इस मामले पर जिला पंचायत सीईओ ने प्रतिक्रिया दी
“अगर कोरोना संकटकाल मे व्यवस्था हेतु फ़र्ज़ी बिल से आहरण का मामला सामने आता है, तो जरूर इस सम्बंध में जांच कर उचित कार्यवाही की जाएगी।
*०रीता यादव०*
*(सीईओ-ज़िला पंचायत बेमेतरा)