प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि आदरणीय सभापति जी पूरी दुनिया चुनौतियों से जूझ रहा है। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इन सबसे गुजरना होगा। इस दशक के प्रारंभ में ही हमारे राष्ट्रपति ने संयुक्त सदन में जो उद्बोधन दिया, जो नया आत्मविश्वास पैदा करने वाला था। यह उद्बोधन आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला और इस दशक के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाला था।
उन्होंने कहा कि राज्यसभा में करीब-करीब 13-14 घंटे तक सांसदों ने अपने बहुमूल्य और कई पहलुओं पर विचार रखे। सबका आभार व्यक्त करता हूं। अच्छा होता कि राष्ट्रपति का भाषण सुनने के लिए भी सभी लोग होते, तो लोकतंत्र की गरिमा और बढ़ जाती। राष्ट्रपति के भाषण की ताकत इतनी थी, कई लोग न सुनने के बावजूद बहुत लोग बोल पाए। इससे भाषण का मूल्य आंका जा सकता है।
विपक्ष पर निशाना
उन्होंने कहा कि हम सबके लिए ये भी एक अवसर है कि आजादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहे हैं। यह पर्व कुछ कर गुजरने का होना चाहिए। हमें सोचना चाहिए कि आजादी के 100वें साल यानी 2047 में हम कहां होंगे। आज दुनिया की निगाह हम पर है। जब मैं अवसरों की चर्चा कर रहा हूं, तब मैथिलीशरण गुप्त की कविता कहना चाहूंगा- अवसर तेरे लिए खड़ा है, फिर भी तू चुपचाप पड़ा है। तेरा कर्मक्षेत्र बड़ा है, पल-पल है अनमोल, अरे भारत उठ, आंखें खोल।
उन्होंने कहा कि मैं सोच रहा था, 21वीं सदी में वो क्या लिखते- अवसर तेरे लिए खड़ा है, तू आत्मविश्वास से भरा पड़ा है, हर बाधा, हर बंदिश को तोड़, अरे भारत, आत्मनिर्भरता के पथ पर दौड़।
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