सिगरेट का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है’। ये शब्द हमें कई जगह पढ़ने मिलते हैं, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस्तेमाल होने के बाद सिगरेट के फेंके टुकड़ों से अच्छी-खासी कमाई की जा सकती है। इससे सिर्फ कमाई ही नहीं होती, बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा सकता है।
सिगरेट के बट से बना रहे की-चेन और पिलो-कुशन
उत्तर प्रदेश के नोएडा में रहने वाले नमन गुप्ता ने तो दो साल पहले इसका ही एक स्टार्टअप शुरू किया था। इसके लिए नमन देशभर से सिगरेट के बट इकट्ठा करवाते हैं और उसकी रिसाइक्लिंग से मॉस्किटो रिपेलेंट, की-चेन, पिलो-कुशन और टेडी बियर जैसे प्रोडक्ट्स बनाते हैं। नमन गुप्ता की कंपनी ‘कोड एफर्ट प्राइवेट लिमिटेड’ सिगरेट के 1 किलो वेस्ट के बदले में 800 रुपए तक चुकाती है। बता दें, सिगरेट वेस्ट की रिसाइक्लिंग करने वाली ‘कोड एफर्ट प्राइवेट लिमिटेड’ भारत की एकमात्र कंपनी है।
20 राज्यों से हो रहा इकठ्ठा
कि वर्तमान में हम देश के 20 राज्यों के करीब 220 शहरों से सिगरेट के बट इकट्ठा कर रहे हैं। इसके लिए हमने करीब 120 कॉन्ट्रैक्ट वेंडर्स को अपॉइंट किया है। ये वेंडर्स चाय-पान की दुकानों और स्मोकिंग जोन से सिगरेट वेस्ट एकत्रित करवाते हैं। हम 800 रुपए प्रति किलो सिगरेट वेस्ट की दर से उन्हें पेमेंट करते है्ं।
अब तक 300 करोड़ से ज्यादा सिगरेट की रिसाइक्लिंग
नमन बताते हैं कि कोड एफर्ट कंपनी की शुरूआत 2018 में हुई थी। तबसे लेकर दिसंबर 2020 तक हमारी कंपनी तकरीबन 30 करोड़ से ज्यादा सिगरेट के बट इकट्ठे कर उनकी रिसाइक्लिंग कर चुकी है। कंपनी के अनुसार, 2500-3000 सिगरेट का वेस्ट एक किलो का होता है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में इसे लेकर जागरूकता तेजी से बढ़ी है। इसीलिए ज्यादा कलेक्शन इन्हीं राज्यों से हो रहा है। नमन के बताए अनुसार, इन राज्यों से ही तकरीबन 50 फीसदी वेस्ट कंपनी को मिल रहा है।
स्मोकिंग छोड़ने की सलाह देते हैं
नमन कहते हैं कि यह कहा जा सकता है कि लोग जितनी ज्यादा सिगरेट पीएंगे, हमें उतना ज्यादा फायदा होगा, लेकिन हम ऐसा नहीं चाहते। इसके उलट हम तो जहां से भी सिगरेट वेस्ट एकत्रित करते हैं, वहां पर सिगरेट छोड़ने के बैनर व पोस्टर्स भी लगवाते हैं। इसके अलावा हम सोशल मीडिया पर भी लगातार स्मोकिंग छोड़ने के लिए लोगों को प्रोत्साहित भी करते हैं। हम तो यहां तक चाहते हैं कि सरकार स्मोकिंग पर प्रतिबंध लगा दे।
सिगरेट के फिल्टर को खत्म होने में 10 साल का वक्त लग जाता है
सिगरेट वेस्ट से स्टार्टअप का ख्याल कैसे आया, इसके जवाब में नमन कहते हैं कि जब मैं कॉलेज में था, तब देखता था कि मेरे कई दोस्त सिगरेट पीने के बाद उसके टुकड़े इधर-उधर फेंक दिया करते हैं, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है। मैंने तभी इसकी रिसर्च की तो पता चला के सिगरेट के वेस्ट को पूरी तरह खत्म होने में तकरीबन 10 साल का समय लग जाता है। इसी दौरान मैंने इसकी रिसाइक्लिंग के बारे में पढ़ा तो पता चला कि अमेरिका, यूरोप जैसे देशों में इसकी रिसाइक्लिंग होती है, लेकिन हमारे देश में इसका कोई मैकेनिज्म नहीं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने इसी का स्टार्टअप शुरू किया।
तीन सालों में ही 10 करोड़ रुपए का रेवेन्यू
कंपनी की शुरूआत के बारे में नमन बताते हैं कि मैंने अपनी बचत, परिवार और कुछ दोस्तों की मदद से 60 लाख रुपए इकट्टे कर कंपनी की शुरुआत की थी। करीब तीन साल के थोड़े समय के अंतराल में ही कंपनी को 10 करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिला। हालांकि, हमें किसी कंपनी या सरकार की तरफ से अब तक कोई फंड नहीं मिला है। अब हमारी योजना कंपनी का विस्तार करने की है। इसके लिए हम 50 लाख रुपेए का फंड रेज करेंगे और उसके लिए 5% स्टेक डाएल्यूट करेंगे। नमन ने बताया कि हम भारत के अलावा वियतनाम और सर्बिया में भी कंपनी के विस्तार की प्लानिंग पर काम कर रहे हैं।
गुजरात से भी हो रहा है वेस्ट का अच्छा कलेक्शन
नमन के बताए अनुसार, पिछले तीन-चार महीनों से कंपनी गुजरात में भी एक्टिव हो गई है। राज्य के अहमदाबाद, सूरत और आनंद में कॉन्ट्रैक्टर्स अपॉइंट किए गए हैं। इन्हीं में से एक अहमदाबाद के कॉन्ट्रैक्ट वेंडर्स धवल मकवाणा ने कहा, हम जनवरी से अहमदाबाद में लगभग 25 पान पार्लर से सिगरेट वेस्ट इकट्ठा कर रहे हैं। इसके अलावा, 15 सहयोगी सार्वजनिक स्थानों से सिगरेट वेस्ट इकट्ठा कर रहे हैं। इस समय गुजरात में हमें हर महीने का करीब 50 किलो वेस्ट मिल रहा है। मार्च तक यह आंकड़ा 100 किलो तक पर पहुंचने का अनुमान है। गुजरात के अलावा अन्य राज्यों के शहरों से भी वेस्ट इकट्ठा करने की योजना पर काम किया जा रहा है।
1000 से ज्यादा को मिला रोजगार
नमन बताते हैं कि हम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, डिस्ट्रीब्यूटर और सेल्समैन द्वारा सिगरेट वेस्ट से बने बाय-प्रोडक्ट्स की बिक्री करते हैं। इसके अलावा इसके अलावा, कॉर्पोरेट से बल्क ऑर्डर लेकर भी इन प्रोड्क्ट्स की डिलीवरी कर रहे हैं। इस काम में 1000 से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं। कंपनी से 40 महिलाओं को भी रोजगार मिला हुआ है।