गरियाबंद। सुपेबेड़ा सहित आसपास के 10 गांव के ग्रामीणों ने इच्छा मृत्यु की मांग की है। ग्रामीणों ने इससे पहले कलेक्ट्रेट में एकदिवसीय धरना प्रदर्शन किया और फिर राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपकर इच्छा मृत्यु की मांग की। ग्रामीण शुद्ध पेयजल नही मिलने से नाराज है। और इसके चलते गांव में किडनी की बीमारी से लोगो की मौत होने की बात कह रहे है। आपको बता दें कि सुपेबेड़ा गांव की पहचान देश और दुनिया में किडनी प्रभावित गांव के रूप में होती है। बीते 4 सालों में यहां किडनी की बीमारी से 90 से अधिक मौतें हो चुकी है। दूषित पानी इसकी प्रमुख वजह बताई गई।
साफ पानी देने में योजनाएं फेल
सरकार ने ग्रामीणों को दूषित पानी पीने से मुक्ति दिलाने के लिए कई घोषणाएं की, दावे भी किए, लेकिन ना योजनाएं पूरी हुई ना दावे। हालात ये है कि ग्रामीण आज भी दूषित पानी पीने पर मजबूर है। जिसके कारण नाराज ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर राजयपाल के नाम ज्ञापन सौंपकर इच्छा मृत्यु की मांग की है।ग्रामीणों का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने तेल नदी का पानी सुपेबेड़ा सहित आसपास गांवो तक पहुंचाने के लिए जलप्रदाय योजना शुरू की थी। सरकार ने योजना से सुपेबेड़ा सहित आसपास के गांवो को शुद्ध पेयजल मिलने और योजना के जल्द पूरा होने का दावा भी किया था। लेकिन योजना फाइलों में ही उलझ कर रह गयी और अब तक धरातल पर नजर नही आयी। जिसके कारण ग्रामीणों को दूषित पानी पीने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
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