पूरे विश्व को कोरोना ने कुछ महीनों के लिए थाम दिया था। इस वायरस की चपेट में आने वाले लोगों के लिए दोबारा जिंदगी गुजर बसर करना किसी सपने से कम नहीं है।क्योंकि मौतों के आंकड़ों को देखें तो आपको अंदाजा लग जाएगा कि कोरोना ने ना जानें कितनी ही जिंदगियां निगल ली है। लोगों में जागरुकता लाने के लिए सरकारों ने दिन रात एक कर दिया। डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने शोध के बाद कोरोना की वैक्सीन निकाली ताकि आने वाली पीढ़ी को इस खतरनाक वायरस से बचाया जा सके।लेकिन जरा रूकिए क्या ये वैक्सीन हमें कोरोना के खतरे से बचा लेगी। आपका जवाब होगा हां….लेकिन जिस कोरोना वायरस को लेकर वैक्सीन का ट्राइल हुआ या फिर चल रहा है । वो वायरस अपने आप में अनोखा है।
कोरोना वैक्सीन को मात दे सकता है ये वैरिएंट
ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि दुनिया के बड़े वैज्ञानिकों का दावा है कि अब तक कोविड 19 के 4 हजार से ज्यादा म्यूटेशन आ चुके हैं। जो पहले के कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक है। ब्रिटेन में इसका एक नया वेरिएंट सामने आया है जिसको लेकर वैज्ञानिक के चेहरों पर शिकन देखी जा रही है। ब्रिटेन की जेनेटिक सर्विलांस प्रोग्राम की प्रमुख शेरॉन पीकॉक के मुताबिक ब्रिटेन के इस नए वैरियंट की चपेट में एक बार फिर दुनिया आ सकती है। ये वैरियंट कोरोना से भी तेजी से फैलेगा। और इसके खिलाफ चलने वाली लड़ाई कोई साल या दो साल नहीं बल्कि डेढ़ दशक से ज्यादा लंबी हो सकती है। यानी इस वैरियंट से लड़ने वाले वैक्सीन का इजाद अब तक नहीं हो पाया है। वैज्ञानिकों ने इस नए वैरियंट का नाम कैंट रखा है।
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क्या कहते हैं केंट को लेकर आंकड़े ?
इंटरनेशनल समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक अब तक केंट वैरियंट के 50 देशों में मामले सामने आ चुके हैं।जिन देशों में ये वैरियंट पाया गया वहां पर ये इतनी तेजी से फैला कि सामने वाले को बचने का मौका नहीं मिला। ब्रिटेन के कंसोर्टियम की डायरेक्टर के मुताबिक पूरा ब्रिटेन केंट की चपेट में है। इस वैरियंट की खास बात ये है कि जिन लोगों को कोरोना का वैक्सीन लगा है उसके असर पर ये वैरियंट नष्ट कर देता है और संबंधित व्यक्ति को फिर से कोरोना की मार पड़ सकती है। कुछ मामलों में कोरोना वैक्सीन केंट को मात दे चुकी है । लेकिन जिस तरह से म्यूटेशन में बदलाव हो रहा है उसे देखकर इस बात को अनदेखा नहीं किया जा सकता है कि कोरोना का वैरियेंट खुद को आने वाले दिनों में वैक्सीन प्रतिरोधी बना लेगा। और यदि ऐसा हुआ तो इससे ना सिर्फ वैक्सीन बनाने वाले देशों और वैज्ञानिकों की मेहनत पर पानी फिरेगा। बल्कि एक बार फिर पूरे विश्व को महात्रासदी झेलनी पड़ेगी।