नई दिल्ली। नागरिक संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में हुए प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने फैसले पर पुनर्विचार करने से इंकार कर दिया। शनिवार को याचिका खारिज करते हुए जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस कृष्ण मुरारी ने कहा कि विरोध का अधिकार, कभी भी और कहीं भी नहीं हो सकता।
कोर्ट ने कहा कि “राइट टु प्रोटेस्ट” का यह मतलब यह नहीं कि जब और जहां मन हुआ, प्रदर्शन करने बैठ जाएं। कुछ सहज विरोध हो सकता है, लेकिन लंबे समय तक असंतोष या विरोध के मामले में दूसरों के अधिकारों को प्रभावित करने वाले सार्वजनिक स्थान पर लगातार कब्जा नहीं किया जा सकता।