छत्तीसगढ़ की राजधानी में पढ़े लिखे लोगों की कमी नहीं है। वहीं इन एजुकेटेड पर्सन्स के बीच में जानवर भी रहते हैं। कुछ तो सड़कों में जिंदगी जी रहे तो कुछ शानदार घरों में एसी-टीवी कूलर पंखें के नीचे मौज काटते खुद को राजा से कम नहीं समझ रहे। खैर बात जानवरों की है तो मुद्दे पर आते हैं। हाल ही में एक घटना सामने आई थी कि पड़ोसी के कुत्ते ने एक बच्चे को काट लिया था। जिसके बाद मामला थाने पहुंच गया। इस पूरे घटनाक्रम की जमकर किरकिरी उस परिवार की हुई जिसने उस कुत्ते को पाल रखा था। इलजाम लगा कि कुत्ते ने पहले भी कई दफा इस तरह की हरकत की है लेकिन परिवार के लोगों का कुत्ता प्रेम इतना ज्यादा है कि इंसानों से बढ़कर कुत्ते पर विश्वास कर लिया। लेकिन एक दिन जब पड़ोस का बच्चा कुत्ता रखने वाली फैमिली के घर सामान लेने पहुंचा तो कुत्ते ने वफादारी दिखाते हुए बच्चे को काट लिया। लेकिन कुत्ता पालने वाले परिवार की माने तो जिस बच्चे के परिजनों ने उनके कुत्ते पर काटने का आरोप लगाया वो गलत है। बच्चा उनके घर में आया जरुर था लेकिन वो बिना किसी से पूछे सामान लेकर जा रहा था। जिसमे कुत्ते ने लपककर उसका रास्ता रोका। लेकिन इस बात का बतंगड़ बना दिया गया। इससे बड़ी बात तो ये हो गई कि जिस बच्चे को काटने की बात सामने आ रही है उसके माता-पिता ने कुत्ता पालने वाली फैमिली के घर धावा बोल दिया। जैसे कोई गुरिल्ला वार चल रहा हो। इस हाई सोसायटी वाली फैमिली के सामने जो भी आया उसे वो पीटने लगे। बच्चे के माता पिता ने कुत्ता पालने वाली 19 साल की लड़की को चप्पलों से धुनाई कर दी। वो भी उस वक्त जब उसके नाना व्हीलचेयर पर असहाय पड़े थे।
इस घटना में कौन है जानवर ?
एक हाईप्रोफाइल और एजुकेटेड फैमिली के लोग इस तरह की हरकत करें शायद ये सुनकर आपको भी अच्छा नहीं लगा होगा। लेकिन ये सच है। क्योंकि एक बालिग लड़की को चप्पलों से मारना कहां तक सही है जब की उसे इस पूरे घटना के बारे में जरा भी पता नहीं था। उस बुजुर्ग की मानसिक हालत क्या होगी जिसने अपनी नातिन को दूसरे लोगों के हाथों पिटते देखा हो। जरा सोचिये यदि कुत्ते का किसी बच्चे पर लपकना अपराध की श्रेणी में आता है तो चप्पलों से किसी के घर में घुसकर मारपीट करना किस की श्रेणी में आएगा।
बात पीड़ित बच्चे की करते है जिसे कुत्ते ने कटा था इसका इलाज भी मार खाने वाले परिवार ने करवाया और ये बात भी बताई की कुत्ते को एंटी रेबिस और सभी तरह के वैक्सीन्स लगे हैं। बावजूद इसके ना तो पीड़ित परिवार ने सुनी औऱ ना ही अपने गुस्से पर काबू रखा।