15 जून 1999, भारत और पाकिस्तान के बीच करगिल युद्ध छिड़ चुका था। वहीं, हजारों किमी दूर सूरजपुर मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर चिटहेरा गांव के विनीत भाटी अपने परिवार के साथ बैठकर आकाशवाणी पर रात पौने नौ बजे आने वाले समाचार का इंतजार कर रहे थे। शाम 8:30 बजे के बीच करीब आधा गांव विनीत के घर पर इकट्ठा हो गया था।
विनीत बताते हैं कि उनके कई रिश्तेदार और सगे-संबंधी भी करगिल युद्ध में हिस्सा ले रहे थे और उनकी खबर रेडियो के माध्यम से ही मिलती थी। कितने जवान शहीद हुए और उनके क्या नाम हैं उसकी खबर रेडियो पर आने वाले समाचार से ही पता चलती थी। गांव में बहुत कम लोगों के यहां टीवी था। इसी बीच जैसे ही समाचार में उस दिन किसी के शहीद नहीं होने की जानकारी मिलती तो पूरा गांव खुश हो जाता था।
रेडियो सुनने के लिए घर पर आते थे सैकड़ों लोग
भारतीय सेना का हिस्सा रहे बोडाकी गांव के राजवीर फौजी ने बताया कि आजादी के बाद उनके दादा फूला प्रधान गांव के मुखिया चुने गए। जब वह दोबारा प्रधान चुने गए तो सरकार से उन्हें रेडियो मिला। रेडियो सुनने के लिए घर के बाहर सुबह से शाम तक सैकड़ो लोग बैठे रहते थे।
रेडियो से जुड़ी अहम जानकारियां
- -वर्ष 1900 में गुग्लील्यमो मार्कोनी ने इंग्लैंड से अमेरिका में व्यक्तिगत रेडियो संदेश भेजा
- -रेडियो के प्रसारण की शुरुआत 24 दिसंबर 1906 की शाम को हुई
- -वर्ष 1918 में न्यूयॉर्क के हाइब्रिज में दुनिया का पहला रेडियो स्टेशन बना
- -वर्ष 1937 में ऑल इंडिया रेडियो की शुरुआत हुई
- -शहर में विविध भारती सेवा का शुभारंभ 1963 में हुआ
- -वर्ष 1970 में कानपुर केंद्र को विज्ञापन सेवा केंद्र बनाया गया
- -वर्ष 2006 में 102 मेगाहट््र्ज फ्रीक्वेंसी पर एफएम रेनबो का प्रसारण शुरू
- -वर्ष 2012 से एफएम मोड से ही विविध भारती का प्रसारण शुरू हो गया
- -रेडियो एप पर विविध भारती को सुन सकते हैं।