नई दिल्ली । केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कार्यालयों में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार की रोकथाम के मद्देनजर नई गाइडलाइन जारी की है। अब अगर किसी दफ्तर में कोई कोरोना वायरस का मरीज मिलता है तो उस दफ्तर या कार्यस्थल को बंद नहीं किया जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इससे जुड़े पुराने नियमों में बदलाव किया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना संक्रमण मामले सामने आने पर दफ्तर बंद करने का नियम हटा दिया है। मंत्रालय ने दफ्तरों को लेकर नए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर जारी किए हैं। नए SOP के मुताबिक किसी भी मामले में दफ्तर बंद करने के प्रावधान नहीं है।
13 फरवरी 2021 को जारी किए गए SOP में कहा गया है-
1.अगर किसी दफ्तर में एक या दो संक्रमण मामले रिपोर्ट होते हैं तो डिसइन्फेक्शन की प्रक्रिया केवल उस जगह/इलाके तक सीमित रहेगी, जहां पर मरीज बीते 48 घंटे में गया है या रहा है और डिसइन्फेक्शन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दफ्तर में काम फिर से शुरू किया जा सकता है।
2. अगर किसी वर्कप्लेस पर बहुत सारे मामले रिपोर्ट होते हैं तो पूरे ब्लॉक/बिल्डिंग या दफ़्तर(संक्रमण या संक्रमित के दायरे के आधार पर) कीटाणु रहित किया जाना चाहिए।
दफ्तर में कोई कोरोना वायरस संक्रमण का मरीज मिलता है तो उस दफ्तर या कार्यस्थल को बंद नहीं किया जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इससे जुड़े पुराने नियमों में बदलाव कर दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना संक्रमण मामले सामने आने पर दफ्तर बंद करने का नियम हटा दिया है।
मंत्रालय ने दफ्तरों को लेकर नए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर जारी किए हैं। नए SOP के मुताबिक… किसी भी मामले में दफ्तर बंद करने के प्रावधान का ज़िक्र नहीं है। SOP में ‘Closure of Workplace की जगह अब ‘Management of Premises ने ले ली है। यानी अब दफ्तर बंद करने की जगह दफ्तर के प्रबंधन की बात की गई है।