नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्री एम.जे. अकबर की तरफ से मी टू केस को लेकर दायर आपराधिक मानहानि केस में दिल्ली की अदालत से बुधवार को बरी होने के बाद पत्रकार प्रिया रमानी ने खुशी का इजहार करते हुए कहा कि उनके लिए यह सुखद अनुभूति है. उन्होंने कहा कि मैं उन सभी महिलाओं के आधार पर जीत महसूस कर रही हूं जिन्होंने यौन उत्पीड़न के खिलाफ बोला.
प्रिया रमानी बोलीं- पीड़ित को कोर्ट में अभियुक्त बनाया गया
प्रिया रमानी ने आगे कहा कि यौन उत्पीड़न ने लोगों का ध्यान खींचा क्योंकि यह वैसा ही मामला है. वास्तव में, मैं एक पीड़ित थी जिसे कोर्ट में एक अभियुक्त के तौर पर खड़ा कर दिया गया. मैं उन सभी का धन्यवाद करती हूं जो मेरे लिए उठकर खड़े हुए. इस जीत के लिए कोर्ट का शुक्रिया करती हूं.
स्मृति ईरानी ने कहा- कानून में हर महिला को सुरक्षा
उधर, केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने एमजे अकबर बनाम प्रिया रमानी आपराधिक मानहानि केस का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट में हर महिला को सुरक्षा दी गई है. उन्होंने कहा कि कोर्ट की तरफ से साक्ष्य के आधार पर फैसले लिए जाते हैं.
एमजे अकबर ने प्रिया रामानी के खिलाफ यह कहते हुए आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था कि प्रिया रमानी ने Me Too कैंपेन के दौरान किए गए ट्वीट से उनकी मानहानि हुई है. जबकि उनके ऊपर इस तरीके के आरोप इससे पहले कभी नहीं लगे थे. अदालत में इस मामले पर विस्तृत बहस के बाद आज यह फैसला सुनाया गया है.
2018 में प्रिया रमानी ने लगाए थे आरोप
गौरतलब है कि साल 2018 में मी टू अभियान के तहत रमानी ने अकबर पर यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगाए थे. अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को रमानी के खिलाफ कथित तौर पर उन्हें बदनाम करने के लिए शिकायत दर्ज कराई थी. इसी दौरान अकबर ने 17 अक्टूबर 2018 को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
साल 2017 में रमानी ने वोग के लिए एक लेख लिखा जहां उन्होंने नौकरी के साक्षात्कार के दौरान पूर्व बॉस द्वारा यौन उत्पीड़न किए जाने के बारे में बताया. एक साल बाद उन्होंने खुलासा किया कि लेख में उत्पीड़न करने वाले व्यक्ति एमजे अकबर थे.