नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि 1991 में अपने पिता राजीव गांधी की हत्या से उन्हें काफी दुख हुआ था लेकिन इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के प्रति उनके मन में कोई नफरत या गुस्सा नहीं है। राहुल यहां एक राजकीय महिला महाविद्यालय की छात्राओं के साथ बातचीत कर रहे थे। उसी क्रम में एक विद्यार्थी ने उनसे सवाल किया, लिट्टे (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) ने आपके पिता की जान ले ली थी, इन लोगों के बारे में आपकी क्या भावनाएं हैं?
नेशनल डेस्क: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि 1991 में अपने पिता राजीव गांधी की हत्या से उन्हें काफी दुख हुआ था लेकिन इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के प्रति उनके मन में कोई नफरत या गुस्सा नहीं है। राहुल यहां एक राजकीय महिला महाविद्यालय की छात्राओं के साथ बातचीत कर रहे थे। उसी क्रम में एक विद्यार्थी ने उनसे सवाल किया, लिट्टे (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) ने आपके पिता की जान ले ली थी, इन लोगों के बारे में आपकी क्या भावनाएं हैं?
इसके जवाब में राहुल ने कहा कि हिंसा आपसे कुछ छीन नही सकती । उन्होंने कहा, मुझे किसी के प्रति गुस्सा या नफरत नहीं है। निश्चित रूप से, मैंने अपने पिता को खो दिया और वह मेरे लिए बहुत मुश्किल समय था। उन्होंने कहा कि यह किसी के दिल को अलग करने जैसा था। तालियों की गडग़ड़ाहट के बीच उन्होंने कहा, मुझे काफी दुख हुआ, लेकिन मुझे क्रोध नहीं है। मुझे कोई नफरत या क्रोध नहीं है। मैंने माफ कर दिया। उन्होंने एक अन्य सवाल के जव़ाब में कहा, हिंसा आपसे कुछ नहीं छीन सकती… मेरे पिता मुझमें जीवित हैं… मेरे पिता मेरे जरिए बात कर रहे हैं।
गांधी ने मछुआरा समुदाय के लोगों के साथ संवाद करने के बाद भारतीदासन राजकीय महिला महाविद्यालय की छात्राओं के साथ बातचीत की। ज्यादातर दलों ने राजीव गांधी हत्या मामले के सात दोषियों की रिहाई का समर्थन किया है लेकिन तमिलनाडु कांग्रेस ने इसका विरोध किया है। एक महिला आत्मघाती हमलावर ने 21 मई, 1991 को एक चुनाव रैली में राजीव गांधी की चेन्नई के पास श्रीपेरंबुदूर में हत्या कर दी थी।
प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख के एस अलागिरी ने कुछ महीने पहले कहा था कि अगर राजीव गांधी हत्या मामले के दोषियों को रिहा कर दिया जाएगा तो 25 साल से अधिक समय जेल में बिताने वाले हत्या के सभी दोषियों की रिहाई की मांग उठेगी। तमिलनाडु सरकार ने 2018 में दोषियों को रिहा करने की राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से सिफारिश की थी।