रायपुर। कोरोना महामारी की वजह से अब भी मौतों का सिलसिला थम नहीं पाया हैं। क्या बच्चे, तो क्या नौजवान, क्या महिलाएं तो क्या पुरूष, हर कोई जो इसकी चपेट में आ रहा है, जिंदगी और मौत से जुझने के लिए मजबूर है। यही वजह थी कि लगभग 11 महीनों तक स्कूल नहीं खोला गया। और जैसे ही स्कूल खुला प्रदेश की संस्कारधानी राजनांदगांव के एक स्कूल में बच्चों सहित स्टाॅफ के 11 लोग कोरोना की जद में आ गए।
ऐसे में प्रदेशभर में आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन की अनुमति समझ से परे है, जबकि नर्सरी से लेकर कक्षा आठवीं तक के बच्चों के लिए, सिर्फ इसलिए स्कूलों को नहीं खोला गया है, क्योंकि आशंका है कि बच्चे संक्रमित हो सकते हैं। सवाल यह है कि फिर आंगनबाड़ी केंद्रों को क्यों खोले जाने की अनुमति दे दी गई, जबकि इन केंद्रों में बच्चों को शासकीय भोजन दिया जाना है।
दूसरी बड़ी बात जिसे गौर किया जाना आवश्यक है कि कक्षा नवमीं से बारहवीं तक के बच्चों को दो अलग-अलग पालियों में स्कूल बुलाया जा रहा है, उन्हें प्रतिदिन केवल 3 घंटे ही स्कूल में रखा जाना है। वहीं आंगनबाड़ी केंद्रों में पूरे 6 घंटों तक 3 से 6 साल के बच्चों को रखा जाता है। ऐसे में सवाल तो उठता है कि आखिर इन गरीब बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ क्यों?