नई दिल्ली। फांसी का नाम सुनते ही शरीर में एक सिहरन सी दौड़ जाती है। जो लोग खुदकुशी करते हैं, उनकी मानसिक स्थिति का आकलन नहीं लगाया जा सकता, लेकिन जिन्हें फांसी की सजा सुनाई जाती है, उनका एक-एक दिन का इंतजार कितना भारी होता होगा, कल्पना से परे है। पर संगीन अपराध की सजा की वजह से ही कानून में यह प्रावधान है।
निर्भया के साथ जितनी क्रुरता की गई थी, उसकी सजा मौत के सिवाय कुछ हो भी नहीं सकती थी। वैसे ही देश को धमाकों से दहलाने वाले, निर्दोषों को मौत के घाट उतारने वाले देश के दुश्मनों को भी सूली पर टांगा गया था। अब एक बार फिर देश में ऐसे ही संगीन जुर्म के अपराधियों को फांसी दिए जाने की तैयारियां शुरु हो चुकी है। इसी तरह एक महिला जिसका नाम
देश में 3 महिलाएं और 31 पुरुष ऐसे हैं, जिन्हें न्यायालय ने सजा-ए-मौत सुनाया है। इन्होंने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका भी प्रस्तुत की थी, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया है। इसमें एक नाम सोनिया का है, जिसने अपने ही परिवार के सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया था। उसके इस जुर्म के लिए फांसी की सजा मुकर्रर की गई है। सोनिया के साथ उसके पति संजीव को भी फांसी की सजा सुनाई गई है। ऐसा ही एक और नाम इस फेहरिस्त में है, जिसे पहले फांसी दी जानी है। उसका नाम शबनम है, जिसने अपने परिवार के सात सदस्यों को मौत की नींद सुला दिया था।
शबनम की फांसी की तारीख नजदीक आ चुकी है, हालांकि उसके डेथ वारंट पर हस्ताक्षर नहीं हुआ है। वहीं जल्लाद पवन के पास भी अधिकारिक सूचना नहीं पहुंची है। शबनम के साथ उसके पति सलीम को भी फांसी की सजा सुनाई गई है, इसके बाद उनका बेटा ताज है, जिसे माता-पिता की फांसी के बाद अकेले ही जीवन गुजारना होगा।