भारतीय रिजर्व बैंक ने (RBI) ने हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFCs) के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये दिशा-निर्देश लिक्विडिटी कवरेज रेशियो, रिस्क मैनेजमेंट, एसेट क्लासिफिकेशन और लोन टू वैल्यू रेशियो सहित अन्य चीजों से संबंधित हैं। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि ये दिशा-निर्देश तत्काल प्रभावी हो गए हैं। इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि HFCs इस प्रकार कामकाज ना करें कि निवेशक और जमाकर्ता के हितों को किसी तरह का नुकसान हो।
आरबीआई ने कहा है कि सभी HFC के बोर्ड यह सुनिश्चित करेंगे कि ये दिशा-निर्देश लागू हों।
आरबीआई ने बुधवार को इस संदर्भ में मास्टर डायरेक्शन-नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी-हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (रिजर्व बैंक) डायरेक्शन्स, 2021 जारी किया।
HFC को जानिए
अगर किसी नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी के कुल एसेट में से कम-से-कम 60 फीसद हिस्सा हाउसिंग सेक्टर को लोन उपलब्ध कराने में जाता हो तो उसे एचएफसी (HFC) कहते हैं। आरबीआई ने कहा है कि HFCs को लिक्विडिटी कवरेज रेशियो के संदर्भ में एक लिक्विटी बफर मेंटेन करना होगा। इससे भविष्य में नकदी से जुड़ी किसी तरह की समस्या आने पर उन्हें इस फंड से मदद मिलेगी।
नए दिशा-निर्देश के मुताबिक लिस्टेड शेयरों की गारंटी लेकर लोन देने वाले HFCs को 50 फीसद का लोन टू वैल्यू रेशियो मेंटेन करना होगा। वहीं, गोल्ड ज्वेलरी की गारंटी पर लोन देने पर HFCs को 75 फीसद का एलटीवी रेशियो मेंटेन करना होगा।