सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन शोषण मामला बंद कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने रंजन गोगोई के खिलाफ लगे यौन शोषण के आरोप के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच शुरू की थी, जिसे गुरुवार को न्यायपालिका के खिलाफ साजिश बताते हुए बंद कर दी है। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि करीब दो साल गुजर गए हैं और जांच के लिए इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड हासिल करने की संभावना बहुत कम है। स्वत: संज्ञान से शुरू की गई जांच प्रक्रिया बंद करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायमूर्ति गोगोई के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न मामले की अंदरूनी जांच पहले ही पूरी की जा चुकी है और न्यायमूर्ति एसए बोबड़े (वर्तमान प्रधान न्यायाधीश) की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय पैनल ने उन्हें दोष मुक्त करार दिया था।
पीठ में न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि न्यायमूर्ति (अवकाश प्राप्त) एके पटनायक पैनल षडयंत्र की जांच करने के लिए व्हाट्सएप मैसेज जैसे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड प्राप्त नहीं कर सका है इसलिए स्वत: संज्ञान से शुरू किए गए मामले से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
शीर्ष अदालत ने खुफिया ब्यूरो के निदेशक की चिट्ठी का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि चूंकि न्यायमूर्ति गोगोई ने असम में राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनआरसी) सहित अन्य कई मुश्किल फैसले सुनाए हैं, इसलिए संभवत: उन्हें फंसाने की साजिश की जा रही है।
Supreme Court disposes off the suo motu proceedings against former CJI Ranjan Gogoi, against whom sexual harassment allegations were levelled in 2019. pic.twitter.com/N3xs3QbaWK
— ANI (@ANI) February 18, 2021
बता दें कि एक महिला ने 2019 में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच कराने का आदेश दिया था।साथ ही कहा था कि आरोप बेहद गंभीर हैं। हमें सच्चाई का पता लगाना होगा। अगर हमने हमारी आंखें बंद कर ली तो देश का भरोसा उठ जाएगा।