निर्भया मामले में दोषियों की तरफ से पैरवी कर चुके सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील एपी सिंह ने अपने एक बयान में शबनम को फांसी न दिए जाने की वकालत की है। उनका कहना है कि वो भारत से फांसी की सजा को खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं। इसके लिए वो अब तक जिन लोगों को फांसी की सजा दी जा चुकी हैं उनके आंकड़े जुटा रहे हैं। साथ ही उनके परिजनों से भी बात कर रहे हैं। उनका ये भी कहना है कि ये काफी लंबी प्रक्रिया है जिसमें कुछ समय और लग सकता है। उनके मुताबिक अमेरिका भी सजा-ए-मौत की सजा को खत्म करने की तरफ बढ़ता दिखाई दे रहा है। हालांकि वहां पर हाल ही में एक महिला को जघनतम अपराध का दोषी पाए जाने के बाद जहरीला इंजेक्शन देकर कोर्ट के आदेश की तामील की गई है।
एपी सिंह का कहना है कि वो न सिर्फ फांसी को भारत से खत्म करने के पक्ष में हैं बल्कि चूंकि शबनम एक महिला है और उसका एक बेटा भी है जिसका कोई अपराध नहीं है, इसलिए भी वो चाहते हैं कि उसको फांसी न हो। हालांकि वो ये भी मानते हैं कि शबनम ने जघनतम अपराध किया है। उनका मानना है कि भारतीय अदालतें जेलों को सुधार गृह बनाने का प्रयास करें न कि उन्हें फांसी घर में तब्दील कर दें। दैनिक जागरण से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि वर्षों से देश में फांसी की सजा दी जा रही है इसके बाद भी देश में जघन्य अपराधों का सिलसिला थमा नहीं है। इसका अर्थ है कि हमें बदलाव की दरकार है। उन्होंने कहा कि दुनिया के सौ के करीब देशों में फांसी की सजा का प्रावधान खत्म कर दिया गया है। भारत को भी इस तरफ आगे बढ़ना चाहिए। अपराध के लिए फांसी की सजा दिया जाना कोई सही विकल्प नहीं है। अदालतों को चाहिए कि वो अपराध करने वालों सुधार के प्रति प्रेरित करें। ये पूछे जाने पर कि क्या वो इस मामले से जुड़ेंगे, तो उन्होंने कहा कि वो इस मामले में कानूनी सलाह मुहैया करवा रहे हैं।