रायपुर। ये रायपुर नगर निगम है, इसका कोई माई बाप नहीं है. अफसरशाही इस कदर हावी है कि जन प्रतिनिधियों तक की कोई बात नहीं सुनता, तो फिर जनता किस खेत की मूली है। नेता से ज्यादा अफसर प्रचारप्रिय हो गए है और इस चक्कर में सुविधाओं का नगर निगम धीरे-धीरे मुसीबतों के नगर निगम में बदलता जा रहा है। इस नगर निगम में न्यू प्रॉपर्टी टैक्स पटाने के लिए ऑनलाइन सिस्टम तैयार किया था जो लगता है अफसरों ने सिर्फ अपनी पीठ थप थपाने के लिए बनाया था। पूरे सिस्टम का भट्टा बैठ गया है और इसकी शिकायत सुनने वाला कोई नहीं है क्योंकि जनता के दरबार में अब राज जन प्रतिनिधियों का नहीं अफसरों का चल रहा है।
तीन साल पहले निजी एजेंसी द्वारा शहरभर में जीआईएस सर्वे कर घरों की नापजोख की गई थी और सभी को 10 डिजिट की प्राॅपर्टी आईडी दी गई। तीन साल पहले संपत्ति कर भुगतान में सहूलियत देने ऑनलाइन सिस्टम का प्लान रायपुर नगर निगम के 70 वार्डाें के लिए शुरू किया था। जिसमें लोगों को उनके मकान, दुकान का संपत्ति कर बिना किसी दिक्कत के घर बैठे एक क्लिक पर ऑनलाइन भुगतान की सुविधा का लाभ देना था। इसके लिए जीआईएस सर्वे कराकर लोगों को प्राॅपर्टी कोड जोन के माध्यम से उपलब्ध कराने के साथ ही प्रत्येक करदाता को डिमांड नोट के साथ प्राॅपर्टी आईडी की जानकारी देनी थी। पर इसमें दिक्कत आ रही है। ज्यादातर लोगों को ये पता नहीं कि जीआईएस सर्वे के बाद उनका प्राॅपर्टी कोड क्या है। इसके बिना ऑनलाइन ट्रांजेक्शन आगे नहीं बढ़ता, यही वजह है लोग चाहकर भी ऑनलाइन पेमेंट नहीं कर पा रहे और मजबूरी में ऑफलाइन टैक्स जमा कर रहे हैं।