रायपुर। धान खरीदी और कस्टम मीलिंग को लेकर आज सदन में जमकर हंगामा हुआ। अजय चंद्राकर के सवाल मंत्री अमरजीत भगत के जवाब पर विपक्ष ने खूब हंगामा किया। अजय चंद्राकर ने सदन में सवाल पूछा था कि कितनी कस्टम मीलिंग हो चुकी है, कितनी बाकी है? वहीं सेंट्रल पुल में कितना चावल जमा कराना शेष है? जवाब में अमरजीत भगत ने बताया कि 92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी में 32.22 लाख टन कस्टम मीलिंग हो चुकी है, जबकि 59.78 लाख मीट्रिक टन कस्टम मीलिंग बाकी है।
मंत्री अमरजीत भगत ने जवाब में बताया कि साल 2019-20 में सेंट्रल और स्टेट पुल में जमा कराने के बाद अतिशेष धान 3.44 लाख मीट्रिक टन धान कुछ समिति और कुछ संग्रहण केंद्रों में पड़ा है। इस जवाब पर विपक्ष भड़क गया। पहले अजय चंद्राकर, फिर शिवरतन शर्मा और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने बारी-बारी से सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाये। अमरजीत भगत ने कहा कि सेंट्रल पुल में चावल जमा कराने के पीछे की बड़ी वजह कोरोना रहा। वहीं केंद्र ने सेंट्रल पुल में जमा कराने की अनुमति भी बाद मे दी, जिसकी वजह से देरी हुई। वक्त पर चावल सेंट्रल पुल में जमा नहीं कर पाने और करोड़ों रुपये आर्थिक नुकसान का आरोप लगाते हुए सदन की कमेटी से इस पूरे मामले की जांच कराने की मांग की। सवाल-जवाब के दौर के बीच सदन में जमकर हंगामा होता रहा। सत्ता पक्ष की तरफ से अमरजीत भगत का साथ देने के लिए परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर भी उठे, लेकिन इसी मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी नोंकझोंक होती रही।
बाद में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस पूरे प्रकरण में जवाब देने उठे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जो सवाल विपक्ष उठा रहा है, वो बेहद गंभीर सवाल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र से सेंट्रल पुल में चावल जमा कराने में देरी की कई वजह हे। कोरोना भी है और केंद्र और राज्य सरकार की अलग-अलग परेशानी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि चावल का कोटा बढ़ाने के लिए लगातार राज्य सरकार केंद्र से संपर्क किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विपक्ष पर चुटकी लेते हुए कहा कि लकीर के फकीर मत बनिये। उन्होंने कहा कि जहां तक सवाल एक साल पुराने के चावल को बांटने और ना बांटने को लेकर है तो नियम में संशोधन की अगर जरूरत होगी तो वो भी करा लेंगे। मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि इस गंभीर मसले पर विपक्ष चाहे तो आधे घंटे की चर्चा अलग से करा ली जायेगी।