पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर कर रहे गैरकानूनी कारोबार
बेमेतरा ज़िले में प्रतिबंधित लाल ईट बनाने व उसके गैरकानूनी कारोबार की खूब जानकारी मिल रही है।जिस ज़िला प्रशासन का रवैया आम नागरिकों के चिंता का विषय बन गया है।क्योंकि जिलेभर में जितने भी ईट भठ्ठे सज रहे है उनमें सिर्फ कुछ ही प्रशासन के दिशानिर्देश पर मानक मापदण्डों को पूरा कर पा रहे है।जबकि समूचे जिलाभर में लगभग सैकड़ो की तादाद में ईंट कर भट्ठे संचालित हो रहे है।जिसमे जिम्मेदार ज़िला प्रशासन के अलावा अनुविभागीय, खनिज, पर्यावरण विभाग के अधिकारी जानकारी होने कर बावजूद मौन रहकर पर्यावरण को बर्बाद होने के जिम्मेदार बन रहे है।चूंकि उल्लेखनीय है कि लाल ईट के भट्ठे अधिकांश नदी किनारे ही संचालन में होता है।जिन्हें बनाने के लिए नदी किनारे की काफी सारी मिट्टी का उपयोग करने से उसका दोहन होता है। वही नदी के पानी अथवा ट्यूबवेल का भी उपयोग करने जलस्तर गिरता है।इसके अलावा इसे पकाने कच्चे पेड़ो व वनों की कटाई कर जलाऊ लकड़ी तैयार की जाती है।इसके अलावा इस कार्य के दौरान कही कही बिजली की भी चोरी किया जाता है।वही इसका निर्माण करने बाहर से मज़दूर बुलाते है जिसकी रिकार्ड व जानकारी थाना सहित अन्य विभागों को भी नही होती है।इस बाबत लाल ईट के भट्ठे सजाकर उनके कारोबार को कई सारी गतिविधियों को हानिकारक मानकर शासन-प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है।ऐसे कार्य संचालित किए जाते पाए जाने पर कठोर दंड व जुमार्ने का भी प्रावधान है।जो कि पर्यावरण सरक्षंण की दिशा में लागू है।इसके बावजूद ज़िला के चारो ब्लॉकों में इन दिनों खूब बगैर चिमनी से लेकर बगैर कुम्हार जाति के लोग इस व्यवसाय को अधिक पैसा कमाने का जरिया बनाकर शासन-प्रशासन के अधिकारियों के नाक के नीचे से संचालन पर्यावरण संरक्षण के आदेश को पौ बारह कर खूब चुना लगा रहे है।जिसके विभाग का पलीता भी लग रहा है और किरकिरी भी हो रहा है।जिम्मेदार अफसरों को चाहिए कि प्रतिबंधित लाल ईट के भट्ठे पर औपचारिक खानापूर्ति ले बकाए तत्काल दंडात्मक कार्यवाही कर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में शासन-प्रशासन के आदेश को लागू करे।ताकि आम नागरिकों कर लिए चर्चे का विषय न बने।