छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में जिन 20 लोगों को उगाही के मामले में दबोचा गया है, दरअसल उन्हें प्रशिक्षण के लिए भारत सरकार की ओर से अधिकृत किया गया था और प्रदेश के अलग-अलग जिलों में प्रशिक्षण के लिए भेजा गया था। इनमें से 20 लोगों को जीपीएम भेजा गया है। दिशा-निर्देश के मुताबिक उनके प्रशिक्षण का यह पहला सत्र था, जिसमें उन्हें स्ट्रीट वेंडरों को समझाइश दी जानी थी, तो बड़े व्यापारियों से बतौर जुर्माना महज 950 रुपए वसूल किए जाने थे। लेकिन प्रशिक्षण के प्रथम चरण में ही इन 20 लोगों ने जीपीएम में गंध मचा दी और प्रत्येक व्यापारियों से 1950रु वसूलना शुरू कर दिया, जिसकी शिकायत पर इन 20 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
इस मामले में जीपीएम एसडीएम दिगेश पटेल से ग्रेंड न्यूज ने जब चर्चा की, तो उन्होंने बताया कि भारत सरकार के निर्देशानुसार खाद्य विभाग, रायपुर से कुल 20 लोगों को जीपीएम भेजा गया था। यह उनके प्रशिक्षण का पहला चरण था, जिसमें एसडीएम से अनुमति के बाद ही कार्रवाई की जा सकती है, लेकिन एसडीएम को अपने पहुंचने की जानकारी दिए बगैर ही खाद्य विभाग की तरफ से भेजे गए इन 20 लोगों ने सीधे जिले में कार्रवाई शुरु कर दी और प्रत्येक व्यापारी से जुर्माना के तौर पर 1950 रु वसूलना शुरू कर दिया।
इस मामले को लेकर जीपीएम एसडीएम दिगेश पटेल ने बताया कि फिलहाल इस मामले को संज्ञान में लिया गया है, वहीं जांच की जा रही है कि भारत सरकार की ओर से भेजे गए इन लोगों की वास्तविक नीयत क्या थी। अब तक कितने व्यापारियों से, कितनी राशि वसूल की गई है, इसका सही मूल्यांकन किया जाना शेष है, इसके बाद ही वास्तविकता सामने आएगी।