रायपुर। नेशनल हाईवे रायपुर-मंदिर हसौद स्थित टोल प्लाजा पर कैश का भुगतान बंद होने के बाद फास्टैग के माध्यम से भुगतान करने की सुविधा शुरू हो गई है। ऐसे में कुछ स्थानीय रहवासी फास्टैग तो लगवा लिए हैं, लेकिन आपसी संबंधों की बात कर भुगतान करने से बच रहे हैं।
इससे सरकार को जहां राजस्व का नुकसान हो रहा है, वहीं इनकी संख्या बढ़ रही है। इस तरह की बढ़ती गतिविधियों को रोकने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचआइ) ने तैयारी शुरू कर दी है। विभागीय अधिकारी की मानें तो स्थानीय रहवासी जो कुछ छूट का लाभ लेने के बाद भी टैक्स नहीं भर रहे हैं, उनके वाहनों की आवाजाही पर निगरानी रखी जा रही है।
इसके लिए टोल टैक्स पर लगे सीसीटीवी कैमरे की मदद ले रहे हैं, जिसमें महीने भर में वाहन कितनी बार टोलटैक्स से गुजर रहा है, इस दौरान वाहन में लगे फास्टैग के रिजार्च की क्या स्थिति है। जैसी सभी जानकारी तैयार होगी।
सभी प्रकार की निजी कारों के लिए बैगनी रंग फास्टैग दिया जाता है और टोल प्लाजा पर उनके लिए टोल की दरें एक समान है। लेकिन तीन पहिया व चार पहिया के व्यावसायिक वाहनों की टोल टैक्स की दरें उनके एक्सल के अनुसार तय होती है, इसलिए व्यावसायिक वाहनों की श्रेणी के मुताबिक बैगनी, गुलाबी, नारंगी, पीला, आसमानी नीला व काले रंग का फास्टैग उनके एक्सल भार के तहत जारी किया जाता है। इस रंग के माध्यम से टोल प्लाजा पर वाहन के आधार पर स्वत: टोल टैक्स का भुगतान होता जाता है।
मशीन से पता चल जाएगा भुगतान की स्थिति
वहीं विभागीय अधिकारी की मानें तो देश भर में कई स्थानों से व्यावसायिक वाहनों द्वारा तय फास्टैग नहीं लगाने के कारण कम टोल टैक्स भुगतान की शिकायतें मिल रही हैं, इसलिए ऐसे वाहनों का फास्टैग व बैंक खाता सील करने की कार्रवाई के लिए जानकारी जमा किया जा रहा है। यदि पकड़ में पाए जाते हैं तो उक्त वाहनों को दो गुना टैक्स देना होगा। एनएचआइ के अधिकारी ने बताया कि आटोमैटिक ह्वीकल क्लासीफायर तकनीक से कम टैक्स का भुगतान करने वाले वाहनों की पकड़ होगी। मशीन वाहनों की फोटो कैद कर लेगा, जिसके बाद संबंधित बैंक खाते से वाहन मालिक की जानकारी लेकर टैक्स वसूला जाएगा।