नयी दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर बड़ा बयान दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया अगर कांग्रेस में रहते तो मुख्यमंत्री बन सकते थे, लेकिन भाजपा में वह पीछे बैठने वाले (बैकबेंचर) बनकर रह गए हैं। सूत्रों के अनुसार, पार्टी की युवा शाखा को कांग्रेस संगठन की अहमियत के बारे में बताते हुए राहुल गांधी ने कहा, ‘अगर वह (ज्योतिरादित्य सिंधिया) कांग्रेस में रुक गए होते तो वह मुख्यमंत्री बन सकते थे, लेकिन भाजपा में वह बैकबेंचर बन गए हैं।
सिंधिया के पास कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर संगठन को मजबूत बनाने का विकल्प था। मैंने उनसे कहा था- आप एक दिन मुख्यमंत्री बनोगे, लेकिन उन्होंने दूसरा ही रास्ता चुना।’राहुल ने आगे कहा, ‘आप लिख लीजिए, वहां वह कभी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। उसके लिए उन्हें यहां वापस आना होगा।’ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने युवा पार्टी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचार से लड़ें और किसी से कतई न डरें।याद दिला दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले साल मार्च में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे।
बता दें कि सिंधिया कांग्रेस पार्टी में अपने स्थान को लेकर अहसज और असंतुष्ट थे और पिछले साल 9 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सदस्यता ग्रहण की थी। सिंधिया की गिनती कद्दावर नेताओं में होती थी और क़रीब 18 वर्षों तक कांग्रेस पार्टी में रहे। सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ने के पीछे की वजह भी बताई थी। उन्होंने कहा था कि कमल नाथ सरकार की तरफ से किसानों और युवाओं को किये वादे पूरा न करना पार्टी छोड़ने का एक कारण है।
तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा नहीं करने से सिंधिया काफी निराश थे। मप्र विधानसभा चुनाव के समय राहुल गांधी ने घोषणा की थी कि राज्य में सरकार बनने के 10 दिनों के अंदर सभी किसानों के कर्ज माफ किए जाएंगे और बेरोजगार युवाओं को भत्ता मिलेगा। लेकिन कमलनाथ सरकार में ऐसा हुआ नहीं। इससे नाराज होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया कुछ विधायकों के साथ पार्टी से अलग हो गए । कांग्रेस से विधायकों के अलग होने से सरकार अल्पमत में आ गई थी। कुछ ही दिनों में कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मप्र में सरकार बनाई।