बीजापुर। जिले में सेक्शन कमांडर सहित पांच माओवादियों ने बुधवार को आत्मसमर्पण किया है. उप महानिरीक्षक ऑप्स केरिपु कोमल सिंह, पुलिस अधीक्षक बीजापुर कमलोचन कश्यप, कमांडेंट 168 केरिपु विकास पांडे के मार्ग दर्शन में चलाए जा रहे माओवादी उन्मूलन अभियान के तहत आत्मसमर्पण किया गया.
आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों में माड़ डिविजन के कंपनी नंबर 1 का सी सेक्शन कमांडर पांडू उर्फ सोनू उर्फ राजू पिता बकैया हपका निवासी भटटीगुडा रेंगापारा थाना पामेड़, प्लाटून नम्बर 12 का सेक्शन डिप्टी कमांडर मंगू पोटाम पिता आयतु पोटाम (30) निवासी पुसनार बंडेपारा थाना गंगालूर, डिविजन सप्लाई दलम डिप्टी कमांडर लोकेश हेमला पिता पांडू हेमला (30) निवासी सावनार थाना गंगालूर, माड़ डिविजन कम्युनिकेशन टीम का सदस्य आयतु कोडेम पिता सुकलू कोडेम (29) निवासी पेदाकोरमा थाना बीजापुर और मिलिशिया सदस्य आयतु हपका पिता बोज्जा हपका (37) निवासी बोडलापुसनार ने आत्मसमर्पण किया.
माओवादियों ने उप महानिरीक्षक केरिपु ऑप्स कोमल सिंह, पुलिस अधीक्षक बीजापुर, कमलोचन कश्यप, कमांडेंट 168 बटालियन विकास पांडे, अति. पुलिस अधीक्षक बीजापुर डॉ. पंकज शुक्ला, उप पुलिस अधीक्षक ऑप्स भावेश समरथ के समक्ष माओवादियो की खोखली विचारधारा, जीवन शैली, भेदभाव पूर्ण व्यवहार एवं प्रताड़ना से तंग आकर और छत्तीसगढ़ शासन के पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण किया है.
पांडू उर्फ सोनू उर्फ राजू पर आठ लाख रूपए का इनाम रखा गया था. वह 2001 से लगातार माओवादी गतिविधियों में शामिल था. वह 2006 जिला नारायणपुर के झारा घाटी में एंबुश लगाकर छसबल की पार्टी पर हमला, जिसमें 06 जवान शहीद एवं 7 हथियार लूट की घटना, जिला नारायणपुर के ग्राम खुदुरू घाटी में एंबुश लगाकर पुलिस पर हमला, जिसमें 9 जवान शहीद एवं 9 हथियार लूट और अन्य कई मामले में शामिल था.
मंगू पोटाम पर तीन लाख रूपए का ईनाम रखा गया था. वह साल 2010 से माओवादी संगठन में शामिल हुआ. लोकेश हेमला पर एक लाख रूपए का ईनाम रखा गया था. वह वर्ष 2007 में सावनार सीएनएम सदस्य के रूप में कार्य शुरू किया. इसकेद बाद लगातार माओवादी गतिविधियों में शामिल था. आयतु कोडेम पर भी एक लाख रूपए का ईनाम रखा गया था. वह 2011 में गंगालूर एरिया कमेटी में पीएलजीए सदस्य में भर्ती हुआ. इसके बाद माओवादियों के साथ काम करता रहा. आयतु हपका 2013 में गंगालूर एरिया कमेटी के अंतर्गत पुसनार मिलिशिया सदस्य के रूप में भर्ती हुआ. इसके बाद लगातार संगठन में सक्रिय रहकर कार्य किया. वह 2014 में हुर्रेपाल के जंगल में पुलिस-माओवादियों के बीच हुए मुठभेड़ में शामिल था.
माओवादियों ने पुलिस के समक्ष समर्पण किया. समर्पण करने पर इन्हें उत्साहवर्धन के लिए शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत् दस-दस हजार रूपए नगद प्रोत्साहन राशि प्रदाय किया गया.