नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से फोन पर बात की। इस बातचीत में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर दोनों देशों के बीच सहयोग और विकास की समीक्षा की। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक दोनों नेताओं ने कई ज्वलंत मसलों पर चर्चा की। यही नहीं दोनों नेताओं ने कोरोना महामारी की चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम करने पर रजामंदी जताई।
इस वार्ता में दोनों देशों के अधिकारियों के बीच नियमित संपर्क बनाए रखने पर भी चर्चा हुई। पीएमओ की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर दोहराया कि श्रीलंका का भारत की पडोस प्रथम की नीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मालूम हो कि कोरोना संकट में भारत ने श्रीलंका की काफी मदद की है। भारत ने सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशिल्ड वैक्सीन की पांच लाख खुराक उपहार के तौर पर श्रीलंका को दी है।
उल्लेखनीय है कि यह बातचीत ऐसे समय हुई है जब दुनिया में चीन के खिलाफ एकजुटता बढ़ती जा रही है। अभी एक दिन पहले ही शुक्रवार को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते आक्रामक रवैये के मद्देनजर क्वाड देशों के प्रमुखों की पहली बैठक हुई थी। भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के बीच हुई इस बैठक की तुलना कूटनीतिक जानकार 1957 में पेरिस में हुई नाटो की पहली बैठक से की जा रही है।
अभी हाल ही में श्रीलंका ने चीन की कोविड-19 वैक्सीन साइनोफार्म का इस्तेमाल स्थगित कर दिया था। समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका टीकाकरण के लिए भारत में निर्मित आक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का इस्तेमाल करेगा। बताया जाता है कि चीन की वैक्सीन साइनोफार्म के फेज-3 के क्लीनिकल ट्रायल पूरे नहीं करने के कारण ऐसा किया जा रहा है। बता दें कि श्रीलंका कोरोना की रोकथाम के लिए टीकाकरण शुरू कर चुका है ।