बीते एक सालों के दौरान कोरोना ने लाखों लोगों को मौत की नींद सुला दिया है, जिसमें कई डाॅक्टर्स, मेडिकल स्टाॅफ, सोशल वर्कर, पुलिस मैन, राजनेता और बच्चे, बुजुर्ग और नौजवान शामिल हैं। पूरे विश्व में फरवरी मार्च के महीनों में ही बीते साल कोरोना ने एंट्री ली थी, और फिर वही मार्च का महीना चल रहा है, जब धड़ल्ले से संक्रमण बढ़ता जा रहा है।
हालात और अंजाम पर ध्यान देते हुए ब्रिटेन के बाद इटली ने देश को लाॅक डाउन कर दिया है, तो सख्त प्रतिबंध भी लागू कर दिया है। ज्यादातर यूरोपीय देशों ने कोरोना से बचाव के लिए लाॅक डाउन को ही कारगर तरीका बताया है और उस पर अमल भी हो रहा है।
वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए फ्रांस के डाॅक्टरों ने भी अब लाॅक डाउन की घोषणा किए जाने सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। फ्रांस में सेवा देने वाले डाॅक्टरों का मानना है कि इससे पहले कि हालात नियंत्रण से बाहर हो जाएं और फिर मौतों का सिलसिला फूट पड़े, इस महामारी से बचाव के लिए लाॅक डाउन लगा देना ही उचित होगा।
डाॅक्टर्स का कहना है कि कोरोना की तीसरी आंधी शुरू हो चुकी है, जिसे पांव पसारने में वक्त नहीं लगेगा, लिहाजा लाशों का ढ़ेर लगना शुरू हो, उससे पहले लाॅक डाउन का रास्ता अख्तियार कर लेना ही सही होगा। इससे कम से कम नुकसान होगा।