दरअसल, बाल अधिकार संरक्षण आयोग की एक कार्यशाला का मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने उद्घाटन किया. इसी दौरान उन्होंने कहा कि बच्चों में कैसे संस्कार आते हैं, ये अभिभावकों पर निर्भर करता है.
इसी दौरान उन्होंने एक वाकया सुनाया, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘जब वो जहाज से एक बार उड़ान भर रहे थे तो उन्होंने देखा कि एक महिला अपने दो बच्चों के साथ बिल्कुल पास में ही बैठी थी, वो फटी हुई जीन्स पहनकर बैठी थी. मैंने उनसे पूछा कि बहनजी कहां जाना है, तो महिला ने जवाब दिया कि दिल्ली जाना हैं, उनके पति जेएनयू में प्रोफेसर हैं और वो खुद एनजीओ चलाती थीं.’
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह ने आगे बताया कि मैंने सोचा जो महिला खुद एनजीओ चलाती हो और फटी हुई जींस पहनी हो, वह समाज में क्या संस्कृति फैलाती होंगी. जब हम स्कूलों में पढ़ते थे, तो ऐसा नहीं होता था.
पश्चिमी सभ्यता की ओर बढ़ रहे युवा
यहां अपने संबोधन में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि युवाओं में नशे की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है. नशा समेत तमाम विकृतियों से बच्चों को बचाने के लिए उन्हें संस्कारवान बनाना होगा, साथ ही हमें पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि संस्कारित बच्चे जीवन के किसी भी क्षेत्र में असफल नहीं होते.
तीरथ सिंह रावत बोले कि चिंताजनक बात यह है कि हमारे देश के युवा पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित हो रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि नशा मुक्ति के लिए चलाए जा रहे अभियान में सिर्फ सरकारी प्रयास ही पर्याप्त नहीं हो सकते इसके लिए सामाजिक संगठनों, संस्थाओं और समाज के गणमान्य लोगों को भी आगे आना होगा.
गौरतलब है कि इससे पहले तीरथ सिंह रावत ने एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना भगवान राम से की थी.