पश्चिम बंगाल के सियासी घमासान में गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोर्चा संभाला। उन्होंने पुरुलिया की रैली में अपने भाषण की शुरुआत बांग्ला भाषा में की। उन्होंने कहा कि दीदी को बंगाल के लोगों के हितों से ज्यादा खेल की चिंता पड़ी है, लेकिन दीदी यह भूल रही हैं कि इस बार बंगाल की जनता खुद उनके विरोध में खड़ी है। दस साल की दूरनीति का सजा लोग उन्हें देकर रहेंगे।
भाजपा की केंद्र सरकार की नीति है- DBT- यानि 'डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर'। पश्चिम बंगाल में दीदी सरकार की दुर्नीति है- TMC- यानि 'ट्रांसफर माय कमीशन'। यहां आयुष्मान योजना लागू नहीं हुई क्योंकि 'ट्रांसफर माय कमीशन' नहीं हो पाया: प्रधानमंत्री pic.twitter.com/t5D2vWmNWc
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 18, 2021
उन्होंने कहा कि दस साल के तुष्टिकरण के बाद, लोगों पर लाठियां-डंडे चलवाने के बाद अब ममता दीदी अचानक बदली-बदली सी दिख रही है। यह हृदय परिवर्तन नहीं, हार का डर है। दीदी यह सब करते रहिए, हर तरह से खेलते रहिए, लेकिन यह मत भूलिए कि बंगाल की जनता की याद बहुत तेज होती है। उसे याद है कि आपने गाड़ी से उतरकर कितने लोगों को डांटा-फटकारा था।
तुष्टिकरण के लिए आपकी(ममता बनर्जी) हर कार्रवाई बंगाल के लोगों को याद है। बंगाल की जनता को याद है जब आपने देश की सेना पर तख्तापलट की कोशिश का आरोप लगाया, जब पुलवामा हमला हुआ तब आप किसके साथ खड़ी थीं ये भी बंगाल के लोग भूले नहीं हैं: प्रधानमंत्री pic.twitter.com/KjKaI9lNXa
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 18, 2021
राम की धरती पर तरस रहे किसान
यह धरती भगवान राम और माता सीता के वनवास की भी साक्षी रही है। यहां अजुध्या पर्वत है, सीता कुंड है। अजुध्या नाम से ग्राम पंचायत भी है। कहते हैं कि जब माता सीता को प्यास लगी थी, तो रामजी ने जमीन पर बाण मारकर पानी की धारा निकाल दी थी। सोचिए जब पुरुलिया में जमीन में पानी का स्तर क्या रहा होगा। यह विडंबना है कि आज मेरे किसान आदिवासी भाइयों को इतना पानी भी नहीं मिलता कि वे सही से खेती कर सकें। यहां की महिलाओं को पीने के पानी के इंतजाम के लिए बहुत दूर तक जाना पड़ता है।
निजी स्वार्थ चला रही दीदी
यहां पहले वामपंथियों और फिर तृणमूल की सरकार ने उद्योगों को नहीं पनपने दिया। पानी के जो इंतजाम किए जाने थे, वह नहीं किए गए। यहां लोगों की समस्याओं पर ध्यान देने की बजाय टीएमसी सरकार अपने ही खेल में लगी रही। इन लोगों ने पुरुलिया को जलसंकट, पलायन और भेदभाव भरा शासन दिया है। इन्होंने पुरुलिया की पहचान बनाई है, देश के सबसे पिछड़े इलाके के रूप में। यहां गैस पाइप लाइन का काम बीते आठ साल से अधूरा पड़ा है। यहां बांध का काम भी अधूरा पड़ा है। इसका जवाब कौन देगा। दीदी यहां के लोग आपसे जवाब मांग रहे हैं।