बिलासपुर। कानन पेंडारी जू के नर हिप्पोपोटामस गजनी ने शुक्रवार को दम तोड़ दिया। दोपहर 3.30 बजे तक वह स्वस्थ था। अचानक हलचल भी बंद हुई और थोड़ी देर बाद उसका शरीर पानी के ऊपर आ गया। जब जूकीपर ने उसे इस हालत में देखा तो घबरा गया। उसने तत्काल इसकी जानकारी अधिकारियों को दी।
जू अधीक्षक संजय लूथर जू में ही मौजूद थे। सूचना पर वे मौके पर पहुंचे। बाद में डीएफओ कुमार निशांत भी पहुंचे। इस बीच शव को बाहर निकाला गया। अचानक मौत से अधिकारी भी सकते में थे। इसलिए जू के अलावा पशु चिकित्सा विभाग के चिकित्सकों को बुलाया गया। चिकित्सकों की चार सदस्यीय टीम ने पोस्टमार्टम किया। रिपोर्ट में मौत की वजह हार्ट अटैक बताई। पोस्टमार्टम के बाद मृत हिप्पोपोटामस को जू के अंदर ही दफना दिया गया।
गजनी कानन पेंडारी जू में आने वाला सबसे पहला हिप्पोपोटामस था, जिसे 13 मार्च 2010 को दिल्ली स्थित नेशनल जुलाजिक पार्क से लाया गया था। इसके लिए सफेद बाघ के केज के सामने बड़ा केज और उसमें तालाब बनाकर रखा गया है। रोज की तरह जूकीपर शुक्रवार की शाम को भोजन देने की व्यवस्था में जुटा हुआ था। इसी बीच उसने देखा की गजनी नजर तो आ रहा है पर शरीर में किसी तरह हलचल नहीं हो रही थी।
उसकी मौत हो चुकी थी। हिप्पोपोटामस जू में रखे प्रमुख वन्य प्राणियों में एक है। अचानक मौत से जू प्रबंधन पर उंगलियां भी उठनी शुरू हो गई। पहले भी जू प्रबंधन की कई लापरवाही उजागर हो चुकी है। आनन-फानन में पहुंचे अफसरों ने सबसे पहले शव को बाहर निकलवाया। इसके बाद जू के पशु चिकित्सक अजीत पांडेय व डा. स्मिता प्रसाद को सूचना दी गई। इसके अलावा पशु विभाग के चिकित्सक डा. अनूप चटर्जी व डा. पूनम पटेल को भी बुलाया गया।
चिकित्सकों के पहुंचने के पहले अधिकारियों ने अपने स्तर पर मौत की वजह जाननी चाही। इसके लिए उन्होंने सीसीटीवी फुटेज देखे गए। इसमें दोपहर 3.30 बजे तक गजनी स्वस्थ था। चिकित्सक पहुंचे और पोस्टमार्टम शुरू किया। इस दौरान हार्ट अटैक आने की पुष्टि की। पेट से भोजन निकला। इसे देखकर यह माना जा रहा है कि उसने सुबह भरपेट खाना खाया था। मृत हिप्पोपोटामस 12 साल का था।
बिसरा भेजा जाएगा जबलपुर
पोस्टमार्टम में चिकित्सकों ने हार्ट अटैक को वजह बताया है पर जू प्रबंधन पूरी तरह संतुष्ट होना चाहता है। यही वजह है कि गजनी के बिसरा व आर्गन को उच्च परीक्षण के लिए जबलपुर स्थित नानाजी देशमुख वेटनरी साइंस यूनिवर्सिटी भेजने का निर्णय लिया है। शनिवार को एक वनकर्मी बिसरा लेकर रवाना हो जाएगा।
दो साल पहले सजनी की हुई थी मौत
कानन पेंडारी जू में यह प्रजाति सुरक्षित नहीं है। दो साल पहले मादा हिप्पोपोटामस सजनी की इसी तरह मौत हो गई थी। सजनी को भी वर्ष 2013 में दिल्ली से लाया गया था। दोनों से दो बच्चे हुए। एक को हैदराबाद जू को दे दिया गया। वहीं दूसरा छोटू साथ में था।
बीच में बिगड़ गई थी तबीयत
गजनी बीच में बीमार हो गया था। वह भरपेट खाना नहीं खा रहा था। जब जू के चिकित्सक उसका इलाज नहीं कर पाए और लगातार स्वास्थ्य बिगड़ने लगा तो दुर्ग स्थित कामधेनु विश्वविालय के पशु चिकित्सक को बुलाया गया। चिकित्सक ने इलाज किया और यह जानकारी दी कि लीवर में समस्या है। हालांकि उन्होंने जो दवा दी उससे सेहत में सुधार आया और उसके बाद से भरपेट भोजन खा रहा था।