रचनाकार ने बस्तर की प्राकृतिक वातावरण व बस्तर में उपलब्ध खनिज संसाधनों को कविता के माध्यम से चित्रित किया है। मधुकर की कलम से
कविता “शीतल व सुंदर बस्तर”
शीतल व सुंदर बस्तर जिसका कांकेर प्रवेश द्वार है,
यहां की खिली वादियां पर्यटकों का करती इंतजार है।
गगनचुंबी पेड़ों से घने जंगलों का सुखद नजारा,
बस्तर के स्वच्छ वातावरण की पहचान है।
यहां महुआ,चार, तेंदू ,आम, इमली विद्यमान हैं,
तूमण में छलकती ताड़ी मानो बस्तर के प्राण है।
हर्रा ,बहेरा ,बेल जामुन, सीताफल यहां पर्याप्त है,
जैसे बस्तर को प्रकृति का वरदान है।
पलाश,अमलतास, मोगरा,चम्पा, चमेली फूलों की बयार है,
भीनी -भीनी खुशबुओं से महकता बस्तर गुलजार है।
सघन पहाड़ों के बीच बसे गांवों में बहार है,
लघु वनोपज संग्रहण जीवन का आधार है।
बस्तर के आदिवासी लोक संस्कृति जग में विख्यात है हल्बी, भतरी, गोंडी, छत्तीसगढ़ी आज भी सलामत है।
टिन,तांबा,बॉक्साइट,ग्रेफाइट, लौह अयस्क का भंडार है,
जैसे दंडकारण्य पर कुदरत मेहरबान है।
समृद्ध बस्तर उन्नति का बिगुल बजा रहा है,
सच कहे तो बस्तर राष्ट्र में अलख जगा रहा है।
के पी मधुकर
एम ए हिंदी,एम लिब.