देश में कोरोना के अस्तित्व को एक साल से ज्यादा हो गया है। कोरोना से लड़ने के लिए वैक्सीन भी तैयार कर ली गई है लेकिन बावजूद इसके कोरोना के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगे हैं। पिछले साल भी मार्च महीने में कोरोना तेजी से फैला था और इस साल भी मार्च महीने में कोरोना संक्रमण आक्रामक हो गया है।
ऐसा कई मामलों में देखा गया है कि कोरोना से पीड़ित मरीज अपनी मानसिक स्थिति को लेकर भी काफी परेशान रहता है। हाल ही में एक मामला बिहार के जमुई से आया है, जहां कोरोना संक्रमित होने के बाद एक डॉक्टर की याददाश्त काम करना बंद कर दी थी और इससे परेशान होकर डॉक्टर ने आत्महत्या कर ली।
जमुई के गिद्धौर प्रखंड में एक डॉक्टर ने अपने सरकारी आवास पर पंखे से लटककर जान दे दी। डॉक्टर रामस्वरुप चौधरी दिग्विजय सिंह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी थे। उन्होंने मंगलवार सुबह साढ़े नौ बजे अपने सरकारी आवास पर सुसाइड नोट लिखकर जान दे दी।
जानकारी के मुताबिक, सुबह काफी देर तक डॉक्टर रामस्वरुप चौधरी ने अपने सहकर्मियों और विभाग के लोगों से फोन पर बात की थी। इसके बाद चाय-नाश्ता करके अस्पताल जाने के लिए तैयार होने कमरे के अंदर चले गए। काफी देर बाद जब वो अपने कमरे से बाहर नहीं निकले तो उनकी पत्नी, बच्चे और उनका चालक कमरे के पास गया।
कमरे के पास गए तो देखा कि कमरा अंदर से बंद है। आवाजें देने पर भी डॉक्टर ने अंदर से दरवाजा नहीं खोला, जिसके बाद दरवाजा तोड़ा और देखा कि डॉक्टर रामस्वरुप चौधरी पंखे से लटके हुए हैं। डॉक्टर के कमरे में से एक सुसाइड नोट भी मिला। इस सुसाइड नोट में लिखा था कि कोरोना संक्रमित होने के बाद याददाश्त काम नहीं कर रही थी, नींद नहीं आ रही थी, पागलपन जैसा महसूस हो रहा था, इसलिए मैं अपनी जान दे रहा हूं।
बता दें कि डॉक्टर रामस्वरुप चौधरी छह साल से सीएचसी गिद्धौर के चिकित्सा पदाधिकारी के पद पर कार्य कर रहे थे। पिछले साल उन्हें कोरोना को लेकर कोविड केयर सेंटर का भी प्रभार दिया गया था। इस दौरान डॉक्टर कोरोना से संक्रमित हुए थे और बाद में उन्हें काम करने में परेशानी होने लगी थी।