*छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन(CGKA)*
*कल 26 को छत्तीसगढ़ बंद : छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन*
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा सहित सैकड़ों किसान संगठनों के देशव्यापी आह्वान पर किसान विरोधी तीनों कानूनों और बिजली संशोधन कानून को वापस लेने, सी-2 लागत आधारित न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देने, पेट्रोल-डीजल-गैस की कीमतों को आधा करने और श्रम कानूनों को बहाल करने की मांग को लेकर कल 26 मार्च को आहूत भारत बंद को छत्तीसगढ़ में सफल करने के लिए छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से जुड़े घटक संगठन पूरी ताकत से मैदान में उतरेंगे। इन संगठनों में छत्तीसगढ़ किसान सभा, आदिवासी एकता महासभा, राजनांदगांव जिला किसान संघ, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति (कोरबा, सरगुजा), किसान संघर्ष समिति (कुरूद), आदिवासी महासभा (बस्तर), दलित-आदिवासी मजदूर संगठन (रायगढ़), दलित-आदिवासी मंच (सोनाखान), भारत जन आन्दोलन, गाँव गणराज्य अभियान (सरगुजा), आदिवासी जन वन अधिकार मंच (कांकेर), पेंड्रावन जलाशय बचाओ किसान संघर्ष समिति (बंगोली, रायपुर), उद्योग प्रभावित किसान संघ (बलौदाबाजार), रिछारिया केम्पेन, छत्तीसगढ़ प्रदेश किसान सभा, छत्तीसगढ़ किसान महासभा, परलकोट किसान कल्याण संघ, वनाधिकार संघर्ष समिति (धमतरी), आंचलिक किसान संघ (सरिया) आदि संगठन शामिल हैं।
आज यहां जारी बयान में छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम, छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला, नंद कश्यप, आनंद मिश्रा, रमाकांत बंजारे आदि ने बताया कि किसान संगठनों द्वारा आहूत भारत बंद को माकपा सहित सभी वामपंथी पार्टियों, कांग्रेस और अन्य संगठनों का भी राजनैतिक समर्थन मिल रहा है। इस देश की आम जनता की यह राय है कि चूंकि यह कॉर्पोरेटपरस्त कानून ग्रामीण जनजीवन को तहस-नहस करेंगे और देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करेंगे, इन कानूनों को वापस लेने के सिवा और कोई रास्ता नहीं है। इसलिए “कॉर्पोरेट भगाओ – खेती-किसानी बचाओ – देश बचाओ” के केंद्रीय नारे पर इस आंदोलन का आयोजन किया जा रहा है।
देशव्यापी किसान आंदोलनके लिए उन्होंने मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि देश संसदीय बहुमत की तानाशाही से नहीं, बल्कि राजनैतिक मुद्दों पर आम सहमति और संवाद से चलता है। देश की जनता की आम राय इन कानूनों की वापसी के पक्ष में है और इसके बाद ही संवाद संभव है। उन्होंने कहा कि संवाद की जगह किसानों से टकराव लेने वाली कोई सरकार टिक नहीं सकती।
किसान नेताओं ने बताया कि बंद की सफलता के लिए आज पूरे प्रदेश में जनसंपर्क अभियान चलाया गया है और कस्बों में व्यापारियों से दुकानें और गांवों में ग्रामीणों से रोजमर्रा के कामकाज बंद रखने की अपील की गई। कल पूरे प्रदेश में रास्ते रोके जाएंगे, मोदी-अडानी-अंबानी के पुतले जलाए जाएंगे तथा धरना-प्रदर्शन भी किये जायेंगे। छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन ने आम जनता के सभी तबकों से भारत बंद को सक्रिय समर्थन व सहयोग देने की अपील की है।
*(छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन की ओर से सुदेश टीकम, संजय पराते, आलोक शुक्ला द्वारा जारी)*