होलिका दहन में भद्रा इस बार बाधा नहीं बनेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि भद्रा दोपहर 1.51 बजे तक ही प्रभावी हाेगी। इसके बाद पूरा दिन पूजा-पाठ के लिए श्रेष्ठ है। हालांकि, होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त शाम 5.15 बजे के बाद ही शुरू होगा। इधर, 500 साल बाद ऐसा मौका आया है जब होलिका दहन के दिन अंगारक योग बन रहा है। ज्योतिषियों का दावा है कि यह संयोग दुर्लभ है। इस अवधि में पूजा का महत्व दोगुना हो जाता है, इसलिए यह योग फलदायी है।
दहन का शुभ मुहूर्त
रात 11.50 से 1.56 तक- वृश्चिक लग्न।
शाम 5.13 से 6.22 तक- सिंह लग्न।
एक अनुमान के मुताबिक इस बार शहर में 500 से ज्यादा जगहों पर होलिका दहन किया जाएगा, लेकिन धारा 144 लागू होने की वजह से कहीं भी 5 से ज्यादा लोग नहीं जुट सकेंगे। सार्वजनिक जगहों पर फागगीत और नगाड़ा बजाने की भी मनाही है। ज्योतिषियों का कहना है कि शाम 5.13 से 6.55 और रात 11.50 से 1.56 बजे तक होलिका दहन करना शुभ रहेगा। वृद्धि, मित्र और सर्वार्थसिद्धि योग में यह होलिका दहन का पर्व मनाया जाएगा। लग्न में शुक्र का उच्च का होकर अवस्थित होना, शनि गुरु का नीच भंग राज योग और अंगारक योग के रहते इस पर्व की महत्ता बढ़ गई है। यह योग लगभग 500 वर्ष बाद बन रहा है। सभी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। इधर, होली उत्सव समितियां पर्यावरण सुरक्षा और पेड़ों की कटाई की रोकथाम के लिए बहुत से स्थानों पर गौकाष्ठ और कंडों का उपयोग भी करेंगी।
राशि अनुसार करें होलिका दहन… होगा लाभ
मेष: हनुमान चालीसा का पाठ कर होलिका के समक्ष धूप जला दें।
वृषभ: दूध लेकर होलिका के चक्कर लगाएं, ईशान कोण में डाल दें।
मिथुन: मेहंदी को पानी में घोलकर परिक्रमा करें। होलिका में डाल दें।
कर्क: शक्कर मिश्रित जल लेकर परिक्रमा कर होलिका में डाल दें।
सिंह: तांबे के तीन सिक्के डालें। सुबह एक सिक्का मिले तो पास रखें।
कन्या: बेल रस लेकर परिक्रमा करें। इसे घर के दक्षिणी किनारे में डालें।
तुला: सिंघाड़ा आटे का घोल लेकर परिक्रमा करें। ईशान कोण में डाल दें।
वृश्चिक: होलिका दहन के बाद स्नान कर हनुमान चालीसा का 7 पाठ करें।
धनु: हल्दी युक्त दूध होलिका में डाल दें। इससे पारिवारिक लाभ होगा।
मकर: लोहे का टुकड़ा होलिका में डालें। इसका छल्ला बनवाकर पहन लें।
कुंभ: होलिका दहन के बाद स्नान कर पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करें।
मीन: जल में हल्दी मिलाकर परिक्रमा करें। विष्णु भगवान के मंत्रों का जाप करें।
मंदिर से बाहर आए राम-सीता, सिर्फ पुजारियों ने लगाया रंग
वीआईपी रोड स्थित राम मंदिर में शनिवार को फागोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर राम और सीता की चल मूर्ति मंदिर से बाहर आंगन में लाई गई। भगवान के साथ महज 15 मिनट होली खेलने के बाद भक्त उन्हें वापस गर्भगृह ले गए। दरअसल, हर साल यहां तीन दिन तक होली खेलने का रिवाज है, लेकिन इस बार संक्रमण के चलते प्रशासन के नियमों का पालन करते हुए होलिका दहन से एक रात पहले महज 15 मिनट का फागोत्सव मनाया गया। उत्सव में श्रद्धालु भी शामिल नहीं हो सके। केवल पुजारियों ने भगवान राम की मूर्ति को अबीर-गुलाल लगाकर बाहर लाया। साल में सिर्फ एक बार भगवान की चल प्रतिमा को बाहर लाया जाता है।
महामाया मंदिर… रात 9 बजे जलाएंगे होलिका
पुरानी बस्ती स्थित महामाया मंदिर में रविवार रात 9 बजे हाेलिका दहन किया जाएगा। पुजारी पं. मनोज शुक्ला ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते शासन की ओर से जारी आदेशों का पालन कर होलिका दहन किया जाएगा। मंदिर की परंपरा है कि गर्भगृह में कई दशकों से प्रज्ज्वलित अखंड ज्योति की विधि विधान से पूजन कर उसी ज्योति की अग्नि से होलिका दहन किया जाता है। यहां जल रही होलिका की आग से कई समितियां होलिका दहन करती है।