रायपुर। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में गर्मी के इस मौसम में तापमान और बढ़ने की संभावना है। गर्मी के मौसम में लोगों को लू से प्रभावित होने की संभावना रहती है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की सचिव एवं राहत आयुक्त रीता शांडिल्य ने राज्य के सभी जिलों के कलेक्टरों को पत्र जारी कर इस साल भीषण गर्मी की संभावना को देखते हुए लू से बचाव एवं प्रबंधन करने आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। सूर्य की तेज गर्मी के दुष्प्रभाव से शरीर पर के विपरीत प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण शरीर का तापमान अनियंत्रित हो जाता हैं। शरीर की जैविक क्रियाओं को प्रभावित करता हैं। इस स्थिति को लू लगना (हीट स्ट्रोक) के नाम से जाना जाता है। जिसके कारण लू लगने की अधिक संभावना होती है।
लू के विभिन्न लक्षण जैसे – सिर में भारीपन और दर्द का अनुभव होना, तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना, चक्कर और उल्टी का आना, कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना। साथ ही शरीर का तापमान अधिक होने पर पसीना आना एवं भूख कम लगना, बेहोश होना।
इससे बचाव के लिए यह ध्यान रखना जरूरी है कि अधिक पसीना आने की स्थिति में ओ.आर.एस. घोल पीयें, बहुत अनिवार्य न हो तो घर से बाहर ना जावें, धूप में निकलने से पहले सर व कानो को कपड़ें से अच्छे से बांध ले, पानी अधिक मात्रा में पीयें, अधिक समय तक धूप में न रहें, गर्मी के दौरान नरम, मुलायम सूती के कपड़े पहनने चाहिए ताकि हवा और कपडें पसीने को सोखते रहे। चक्कर आने, मितली आने पर छाया दार स्थान पर आराम करें तथा शीतल पेयजल अथवा उपलब्ध हो तो फल का रस, लस्सी, मठा आदि का सेवन करें। उल्टी, सर दर्द, तेज बुखार की दशा में मरीज को निकट के अस्पताल अथवा स्वास्थ्य केन्द्र में तत्काल लेकर जाना चाहिए।
लू लगने पर किया जाने वाला प्रारंभिक उपचार:- बुखार पीडि़त व्यक्ति के सर पर ठंडे पानी की पट्टी लगावें। अधिक पानी व पेय पदार्थ पिलावें जैसें कच्चे आम का पन्ना, जलजीरा आदि, पीडि़त व्यक्ति को पंखें के नीचे हवा में लेटा देवें, शरीर पर ठंडे पानी का छिड़काव करते रहे, पीडि़त व्यक्ति को शीघ्र ही किसी नजदीकी चिकित्सक, अस्पताल या स्वास्थ्य केन्द्र में मरीज को पहुंचाना चाहिए, प्रारंभिक सलाह के लिए आरोग्य सेवा केन्द्र दूरभाष नंबर 104 पर तत्काल निःशुल्क परामर्श लिया जा सकता है।