नई दिल्ली। चीन के सहयोगियों के साथ कोरोना वायरस के संभावित स्रोत संबंधी बहुप्रतीक्षित अध्ययन करने वाली अंतर्राष्ट्रीय टीम ने मंगलवार को शुरुआती रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि ‘यह पहली शुरुआत’ है। वहीं अमेरिका और एवं उसके सहयोगियों ने अध्ययन के नतीजों को लेकर चिंता व्यक्त की जबकि चीन ने सहयोग करने की बात की। टीम का नेतृत्व कर रहे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के पीटर बेन एम्ब्रेक ने महामारी के लिए जिम्मेदार वायरस के संभावित स्रोत को लेकर पहले चरण की अध्ययन रिपोर्ट पेश की। इस महामारी की शुरुआत पिछले साल चीन में हुई थी, इससे अब तक करीब 28 लाख लोगों की मौत हो चुकी है और अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है।
एसोसिएटेड प्रेस को सोमवार को मिली रिपोर्ट और मंगलवार को औपचारिक रूप से प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि चमगादड़ से वायरस का प्रसार अन्य जानवरों के माध्यम से मानव में होने की संभावना अधिक है जबकि प्रयोगशाला से वायरस के लीक होने की आशंका ‘बेहद ही कम” है। वहीं WHO प्रमुख ने कहा कि अब तक परिकल्पनाओं पर विराम नहीं लगा है लेकिन इस पर जांच होनी जरूरी है। रिपोर्ट जारी होने के बाद अमेरिका और करीब एक दर्जन देशों ने अध्ययन को लेकर चिंता जताई। उन्होंने चीन की ओर सीधे इशारा करने के बजाए रिपोर्ट आने में देरी और नमूनों एवं आंकड़ों तक पहुंच नहीं होने की ओर ध्यान आकर्षित कराया। इन आलोचनाओं का जवाब देते हुए चीन ने कहा कि यह मुद्दे का ‘राजनीतिकरण’ करने की कोशिश है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि बाइडन प्रशासन WHO की रिपोर्ट की समीक्षा कर रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि इसमें अहम आंकड़ों, सूचना की कमी है…उन तक पहुंच नहीं है, पारदर्शिता की कमी है। साकी ने कहा कि अध्ययन उतना असर पैदा नहीं कर सका जितना असर महामारी का दुनिया पर रहा। टीम के कई सदस्यों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल एम्ब्रेक ने कहा कि टीम की प्राथमिक आंकड़ों तक पूरी तरह से पहुंच नहीं थी और उसपर भविष्य में अध्ययन करने की अनुशंसा की गई है। उन्होंने कहा कि यह केवल पहली शुरुआत है, हमने इस जटिल अध्ययन की सतह को महज खुरचा है, और अध्ययन करने की जरूरत है। जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव कत्सुनोबु कातो ने पत्रकारों से कहा कि भविष्य में महामारी को रोकने के लिए यह जरूरी है कि विशेषज्ञों के नेतृत्व में स्वतंत्र जांच हो जो निगरानी से मुक्त हो।