रायपुर। शनिवार को छत्तीसगढ़ के बीजापुर के तर्रेम इलाके के जंगल में माओवादियों ने एम्बुश लगाकर सर्चिंग पर निकले जवानों पर ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार कर दी थी। उनका इरादा और भी ज्यादा तादाद में नुकसान पहुंचाने का था, लेकिन माओवादियों को इस बात का अंदेशा मात्र भी नहीं था कि उनका खोदा गड्ढा, उनके लिए ही कब्रगाह बन जाएगा।
हालांकि माओवादियों की घिनौनी करतुत की वजह से देश की माटी ने अपने 22 वीर जवानों को खो दिया है, उसकी भरपाई कभी नहीं की जा सकती। इस बड़ी तादाद में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए, उनकी वीरता को सलाम करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल असम चुनाव को बीच में छोड़कर आज जगदलपुर पहुंच गए।
मुठभेड़ नहीं, यह युद्ध है
माओवादियों की इस घिनौनी करतुत को लेकर पूरा देश इस वक्त गुस्से में है और वास्तव में इस गुस्से की आवश्यकता भी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार रात राजधानी पहुंचते ही कहा था कि यह मुठभेड़ नहीं है, बल्कि यु़द्ध है, जिसका आगाज तो माओवादियों ने किया है, पर अंजाम तक देश के वीर जवान पहुंचाएंगे। सीएम बघेल ने कहा है कि देश के वीर जवानों पर माओवादियों ने छिपकर वार किया है, लेकिन हमारे जवान उनके सीने में गोली मारेंगे।
शाह बोले, पूरा हुआ वक्त
देश के गृहमंत्री अमित शाह भी असम में चुनाव प्रचार पर थे। बीजापुर की खबर सुनने के बाद ना तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से रहा गया और ना ही गृहमंत्री अमित शाह खुद को रोक पाए। लिहाजा आज विशेष विमान से वे सीधे जगदलपुर उतरे। मुख्यमंत्री बघेल के साथ गृहमंत्री शाह ने भी वीर जवानों की शहादत पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। गृहमंत्री के गुस्से का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने कह दिया कि वे सिर्फ श्रद्धांजलि देने नहीं आए हैं।
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उनकी इस बात का सीधा तात्पर्य यह निकलता है कि अब छत्तीसगढ़ में माओवाद के खात्मे के लिए कोई बड़ा फैसला लिया जाएगा। बता दें कि आज जगदलपुर में ही दोनों नेताओं और संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक होनी है।