डेस्क। छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए नक्सली हमले में 22 जवानों की शहादत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस मुठभेड़ में 15 नक्सली भी ढेर हुए। इतनी बड़ी मुठभेड़ के पीछे नक्सल कमांडर माडवी हिडमा का नाम सामने आया है। हिडमा पहले से ही सैन्य बलों की ‘मोस्ट वांटेड’ की सूची में है। उस पर 25 लाख का ईनाम भी घोषित है। सुकमा जिले के एक छोटे से गांव से आने वाले इस दुबले-पतले और अनपढ़ नक्सली ने अब तक कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है और नक्सलियों के कोर ग्रुप में काफी गहरी पैठ बना ली है।
हिडमा ने कोई बुनियादी शिक्षा नहीं ली है पर अब वो फर्राटे से अंग्रेजी बोल लेता है। आधुनिक हथियार चलाने और संचार तकनीक के इस्तेमाल में भी उसने खासी महारत हासिल कर ली है. हिडमा, सुकमा के जंगलों में करीब एक हजार लड़ाकों की अपनी ही फौज को संचालित करता है। नक्सलियों के अधिकांश कमांडर आंध्र प्रदेश से आते हैं पर हिडमा अपने शातिर अंदाज और बड़ी घटनाओं के दम पर काफी वरिष्ठ हो गया। बीजापुर की ताजा घटना के बाद अब सुरक्षा बलों को भी उसकी सरगर्मी से तलाश है।
25 मई 2013 को भी सुकमा के झीरम घाटी में हुआ था नक्सली हमला
बीते एक दशक में यह सबसा बड़ा नक्सली हमला है। 25 मई 2013 को सुकमा के झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला किया था। इस हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, विद्या चरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा समेत सुरक्षा में तैनात 29 लोगों की मौत हुई थी। 3 अप्रैल को घटी बीजापुर की घटना ने एक बार फिर उस हमले की याद ताजा कर दी।
25 लाख का इनामी है नक्सली
माडवी हिडमा पर पुलिस ने 25 लाख का इनाम घोषित किया हुआ है। नक्सल कमांडर माडवी हिडमा को संतोष उर्फ इंदमुल उर्फ पोडियाम भीमा जैसे कई नामों से भी जाना जाता है। वह छत्तीसगढ़ पुलिस समेत कई नक्सल प्रभावित राज्यों के पुलिस के लिए मोस्टवांटेड नक्सली है।
सुकमा का रहने वाला है नक्सली हिडमा
बताया जा रहा है कि शनिवार को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ की घटना हिडमा के गांव में ही घटी है। छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला हिडमा का गढ़ है, जहां पर होने वाली सभी नक्सली गतिविधियों को हिडमा संचालित करता है। कद काठी में दुबले पतले हिडमा का नक्सली संगठनों में कद काफी बड़ा है। हिडमा नक्सली गतिविधी और संगठन पर अच्छी पकड़ के कारण ही सबसे कम उम्र में माओवादियों की टॉप सेंट्रल कमेटी का सदस्य बन गया है।
हिडमा कितने गुप्त तरीके से काम करता है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सुरक्षा बलों के पास उसकी बस एक तस्वीर है जो 2016 की है। अब हिडमा कैसा दिखता है इसकी जानकारी सुरक्षा बलों के पास भी नहीं है।
हिडमा के गांव में बनती है नक्सल गतिविधियों की नीति और रणनीति
छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्रप्रदेश समेत कई राज्यों में नक्सली हमलों को अंजाम देने वाले खूंखार नक्सली हिडमा का जन्म सुकमा जिले के पुवर्ती गांव में हुआ था। इस गांव में पहुंचने के लिए आज भी ना तो सड़कें हैं और ना ही कोई अन्य सुविधा। आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि राज्य गठन के दो दशक बाद भी इस गांव में स्कूल तक नहीं है। यह गांव दुर्गम पहाड़ियों और घने जंगलों से घिर हुआ है। यहां आज भी नक्सलियों की जनताना सरकार की तूती बोलती है। बताया जाता है कि नक्सल गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सभी नीति और रणनीति यह पर तैयार होती है और फिर उस घटना को अंजाम दिया जाता है।