ग्रेंड न्यूज, रायपुर। देशभर में कोरोना की दूसरी लहर जिस तेजी से फैल रही है, लोगों को अपनी चपेट में लेती जा रही है और मौत की नींद सुला रही है, वास्तव में यह सब बेहद डरावना हो चुका है। पहले दौर में भारत ही नहीं, विश्वभर में इस महामारी से बचाव के लिए कोई सटिक संसाधन नहीं था, लेकिन अब वैक्सीन बन चुका है और पूरी ताकत झोंककर लोगों को वैक्सीनेट किया भी जा रहा है। वैक्सीनेशन के मामले में भारत सबसे आगे चल रहा है, लेकिन कोरोना की रफ्तार इसके साथ ही बढ़ती भी जा रही है।
कोरोना की दूसरी लहर में देश के कई राज्य बुरी तरह से प्रभावित हैं, जिसमें महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, केरल, कर्नाटक और पंजाब टाॅप पर हैं। महाराष्ट्र के बाद छत्तीसगढ़ में संक्रमण की रफ्तार सबसे ज्यादा है, जबकि केरल में एक बार फिर रिकवरी शुरू हो चुकी है।
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देशभर में वैक्सीनेशन प्रोग्राम तेजी से चलाया जा रहा है, ताकि लोगों को सुरक्षा कवच पहनाया जा सके, लेकिन वैक्सीन के दोनों डोज लगने के बावजूद लोग जब संक्रमित होने लगे हैं, तब सवाल उठना स्वाभाविक भी है, लिहाजा इस भ्रम को दूर करने के लिए विशेषज्ञों ने अपनी सलाह दी है।
देश के विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना के दोनों डोज 28 दिनों के अंतराल में लगाए जा सकते हैं। इसके बाद एंटी बाॅडी डेवलप होने में कम से कम डेढ़ माह का समय लगता है। इस दौरान कोरोना के खिलाफ जंग में निर्देशित नियमों का पालन करना बेहद जरुरी है, ताकि कोरोना अटैक ना कर पाए।
वहीं एंटी बाॅडी डेवलप होने के बाद भी संक्रमण की चपेट में लोग आ सकते हैं, पर तब वायरस का प्रभाव जटिल नहीं होगा और रिकवरी तेजी से हो सकती है। कहने का तात्पर्य यह है कि डोज पूरा होने के बाद से एंटी बाॅडी बनने तक लोगों को पूरी तरह से सुरक्षा प्रंबंधन करना होगा, इसके बाद वायरस ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा सकता।