ग्रैंड न्यूज, रायपुर। बीते साल जब कोरोना ने देश की धरती पर कदम रखा, उसके बाद विस्तार के साथ जब छत्तीसगढ़ आया, फिर पूरे देश में एक साथ कोरोना की पहली आंधी आई, जिसे कोरोना का पिक कहा गया। उस वक्त भी छत्तीसगढ़ में एक दिन में मिलने वाले मरीजों की संख्या कभी 4 हजार से ऊपर नहीं पहुंची थी। आज आलम यह है कि छत्तीसगढ़ में एक ही दिन का आंकड़ा 14 हजार पार कर गया, जबकि जांच की संख्या महज 50 हजार ही सरकारी आंकड़ों में दर्ज है। यह दूसरी लहर इतनी घातक हो चुकी है, अब एक ही दिन में प्रदेश के 100 लोगों की मौत दर्ज हो रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली लहर के दौरान विकट परिस्थितियों को भांपते हुए तत्काल फैसला लेकर पूरे देश को लाॅक डाउन कर दिया था, जिसकी वजह से देश के दूसरे देशों की तुलना में भारत को नुकसान तो हुआ, पर अपेक्षाकृत कम था। लेकिन देश में आया कोरोना का दूसरा लहर, जिस तरह से हाहाकार मचा रहा है, लाॅक डाउन के बाद नियंत्रित हो जाएगा, इसमें भी आशंकाओं के बादल मंडरा रहे हैं, क्योंकि इस नए स्टेन ने प्रदेश में जितनों का अपनी चपेट में लेना है, ले लिया है, जो रोज दिन फूटकर सामने आता जा रहा है।
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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर सहित प्रदेश के 10 जिलों में लाॅक डाउन की घोषणा हो चुकी है और लगभग जिलों में लागू भी हो चुका है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार लोगों को अपील कर रहे हैं, कि वे नियमों का पालन करते रहें, तो दूसरी तरफ प्रशासन भी पूरी मुस्तैदी से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहा है। अब प्रदेश की जनता की बारी है कि वे संयमित होकर अपने कर्तव्यों का पालन करें।
सच्चाई यह है कि लाॅक डाउन कोरोना का हल नहीं है। इससे देश की आर्थिक स्थिति के साथ ही रोजमर्रा के कामगार श्रमिकों के घर-परिवार को त्रासदी का सामना करना पड़ता है। उत्पादन प्रभावित हो रहा है, उत्पाद जाम हो रहे हैं, लिहाजा नियमों के साथ, अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए प्रदेश निरंतर चलता रहेगा, तो लाॅक डाउन की समस्या से भी निजात मिलेगा और कोरोना का दम भी टूटेगा।