ग्रैंड न्यूज, रायपुर। एक डायलॉग काफी पुराना और बहुत प्रचलित है “मेरी चिता को तुम आग भी मत लगाना, मेरी लाश पर भी तुम्हारा कोई अधिकार नहीं रहेगा”। कौन जानता था कि फिल्मों में प्रयोग होने वाला यह डायलॉग किसी वक्त हकीकत में भी परिणित हो जाएगा।
आज केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं अपितु देशभर में कुछ ऐसा ही हाल देखने को मिल रहा है। कोरोना के दंश की वजह से मौत के आगोश में समाने वाले ऐसे जाने कितने लोग हैं जिनसे उनका अंतिम संस्कार का अधिकार भी छीन लिया गया है। उनके परिजन चाह कर भी जीवन के इस अंतिम संस्कार को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
यह एक ऐसा दर्द है जिसे लोग बयान भी नहीं कर पाते लेकिन उसकी पीड़ा से पूरा परिवार सिसक रहा है। किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसका जैसा सम्मान होना चाहिए वह सब कुछ किनारे होकर रह गया है। चार कंधों की बजाए उस मृत शरीर को कचरा ढोने वाली गाड़ियों में लावारिस लाशों की तरह रख दिया जाता है।
अंतिम संस्कार का अपना विधि और विधान है, जिसे लोग गरीब से गरीब परिस्थिति में भी पूरा करते हैं ताकि उनके वे अपने जो अब इस दुनिया में नहीं रहे कम से कम परलोक में जाकर उन्हें शांति मिल सके। पर कोरोना ने इस संस्कार को भी कहीं का नहीं छोड़ा है।
आलम यह है कि बहुतेरे लोग इस बीमारी की वजह से अपनों की लाश तक को अंतिम संस्कार तो दूर देखने तक नहीं पहुंचते। वजह, लोग भलीभांति जानते हैं। बहरहाल यह सच्चाई कब कड़वा घूंट है जिसे जाने कितने लोगों को अभी और पीना पड़ेगा।
https://youtu.be/_A-Y2idqNlI