ग्रैंड न्यूज, रायपुर। “अब पछताय होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत”। इंसान बचपन से इस कहावत को सुनते आ रहा है और गाहे-बगाहे यह कहावत हर किसी के जीवन में चरितार्थ भी होता है। इस वक्त यह कहावत छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के लिए लगाए गए लॉकडाउन को लेकर कहा गया है।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर सहित दुर्ग, बिलासपुर, कोरबा, राजनांदगांव, जशपुर, महासमुंद, रायगढ़, गरियाबंद के अलावा कुल 22 जिलों में लॉकडाउन किया गया है, जो 26 अप्रैल तक फिलहाल लागू रहेगा।
छत्तीसगढ़ में लॉक डाउन की शुरुआत बेमेतरा जिले से हुई जिसे 2 तारीख को अमल में लाया गया यह आंशिक था। इसके बाद पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा दुर्ग जिले में हुई। फिर राजधानी में 9 अप्रैल से तो धीरे धीरे प्रदेश के 22 जिलों में लॉकडाउन कर दिया गया। इसकी मियाद 19 अप्रैल को समाप्त होनी थी लेकिन संक्रमण के स्तर को देखते हुए अब 26 अप्रैल तक लॉकडाउन रखे जाने का फैसला लिया गया है।
9 अप्रैल से लेकर 17 अप्रैल तक की स्थिति पर यदि गौर किया जाए तो इस दरमियान संक्रमित लोगों की संख्या में केवल और केवल इजाफा हुआ है वही मौत के आंकड़े प्रतिदिन बढ़ते क्रम में ही नजर आए हैं। आलम यह है कि प्रदेश में अब एक ही दिन में 16 हजार से ज्यादा नए संक्रमितों की पहचान हो रही है तो प्रतिदिन होने वाली मौतों का आंकड़ा तेजी से 200 की तरफ बढ़ता दिख रहा है।
प्रदेश को लॉकडाउन किए जाने के पीछे उद्देश्य संक्रमण की रफ्तार को कम करना और लगातार हो रही मौतों को रोकना था। किंतु सच्चाई यह है कि छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन को प्रभावी किए जाने से पहले ही कोरोना ने प्रदेश में इस कदर जाल बिछा दिया था जिसका परिणाम प्रतिदिन बढ़ते संक्रमित लोगों और मौत के रूप में सामने आ रहा है।