देश में कोरोना के हाहाकार के साथी बेहद आवश्यक रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी, इस वक्त बड़ी परेशानी का सबब बन गया है। इस बीच महाराष्ट्र में रेमडेसिविर की कमी पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने नोटिस लिया है। कोर्ट की नागपुर बेंच ने केंद्र सरकार से सवाल किया है कि राज्यों को यह इंजेक्शन किस आधार पर बांटा जा रहा है?
कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र में देश के 40% कोरोना मरीज हैं तो उन्हें रेमडेसिविर भी उसी हिसाब से दिए जाने चाहिए।
हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि जिलों को मनमाने तरीके से रेमडेसिविर का बंटवारा किया जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने 13 अप्रैल और 18 अप्रैल को नागपुर में रेमडेसिविर की एक भी वायल (शीशी) क्यों नहीं भेजी?
30% रेमडेसिविर राज्य को मिलना चाहिए
इस केस में एमिकस तुषार मंडलेकर ने कोर्ट से कहा कि महाराष्ट्र में संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए 30% रेमडेसिविर राज्य को मिलना चाहिए। एमिकस ने कहा कि रोजाना 2 लाख रेमडेसिविर का प्रोडक्शन देश में हो रहा है। इसकी कोई कमी नहीं है। महामारी अधिनियम 1897 के तहत ही महाराष्ट्र सरकार रेमेडेसिविर का पूरा स्टॉक रखना चाहती है। उन्होंने कहा कि हर रोज महाराष्ट्र में 40% कोविड-19 मरीज आ रहे हैं। इसलिए रेमडेसिविर के प्रोडक्शन का 40% महाराष्ट्र को मिलना चाहिए।