रायपुर। पीआईबी द्वारा जारी किए गए प्रेस नोट के बाद जो तथ्य सामने आए हैं उसे देखते हुए कॉन्ग्रेस के प्रदेश संचार प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने केंद्र सरकार की आज की घोषणाओं पर सवालिया निशान खड़े करते हुए कहा है कि देश की आबादी का 65% युवा वर्ग से आखिर मोदी सरकार का कौन सा बैर है ? आज भी राज्यों को केंद्र सरकार 45 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्तियों के लिए वैक्सीन उपलब्ध नहीं करा पा रही है।
वर्तमान में देश के वैक्सीन निर्माताओं का पूरा उत्पादन मिलकर भी 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए टीकाकरण की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार ने 1 मई से 18 साल की आयु तक टीकाकरण की अनुमति तो दी है लेकिन वैक्सीन इसके लिए कैसे उपलब्ध होंगे इस बारे में केंद्र सरकार द्वारा आज लिए गए फैसले पूरी तरह से युवा विरोधी है। आज के फैसलों के मुताबिक 18 साल से अधिक की आयु के युवाओं के लिए राज्य सरकार को टीका खरीदना होगा। युवाओं के लिए वैक्सीन केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध नहीं कराई जाएगी।
मार्केट में आज कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। वैक्सीन की वैसे ही कमी बनी हुई है। इस कमी को देखते हुए आज 19 अप्रैल को केंद्र सरकार ने वैक्सीन निर्माताओं को इंसेंटिव देने का निर्णय लिया है। यह बहुत देर से लिया गया निर्णय है और इसके परिणाम स्वरूप वैक्सीन का उत्पादन बढ़ने में काफी देर लगेगी। 45 वर्ष से 18 वर्ष की आयु तक के लोगों का लिए वैक्सीन केंद्र सरकार द्वारा नहीं दी जाएगी और राज्य सरकार को इसकी खरीद करने के लिए आज के आदेश में कहा गया है । इस प्रकार 45 वर्ष से 18 वर्ष तक की आयु के लोगों के लिए वैक्सीन मार्केट से खरीदने का फैसला करके केंद्र कि मोदी सरकार ने युवाओं के टीकाकरण से अपनी जिम्मेदारी से बच निकलने का निर्णय लिया है जो पूरी तरीके से गलत और युवा विरोधी फैसला है। मार्केट में वैक्सीन की उपलब्धता है भी नहीं। 6 करोड़ वैक्सीन मोदी जी पहले ही कथित वैक्सीन डिप्लोमेसी के तहत विदेशों को दे चुके हैं।
प्रदेश कांग्रेस के संचार प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने मोदी सरकार से पूछा है कि आखिर मोदी सरकार को देश की 65% आबादी युवा वर्ग से आखिर कौन सा बैर है ? दो करोड़ रोजगार हर साल देने की बात करके विगत 7 वर्षों से युवाओं को 14 करोड़ रोजगार के अवसरों से वंचित किया गया । पहले तो युवा वर्ग को टीकाकरण के सुरक्षा चक्र से बाहर ही रखा गया और अब 1 मई से टीकाकरण शुरू करने का फैसला तो लिया है लेकिन टीके उपलब्ध कराने की अपनी जिम्मेदारी से केंद्र ने पूरी तरह से पीछा छुड़ा लिया है। टीका शुरू करने की बात तो केंद्र सरकार कर रही है लेकिन टीके आएंगे कहां से इस पर खामोश है । टीका निर्माताओं को इंसेंटिव का रूप क्या होगा कैसे दिया जाएगा और इसके परिणाम बड़े हुए उत्पादन के रूप में कब तक सामने आएंगे यह मोदी सरकार नहीं बता रही है। 1 मई से 18 वर्ष तक के युवाओं के लिए टीकाकरण की मोदी सरकार की घोषणा कहीं 20 लाख करोड़ के करोना पैकेज की तरह हवाहवाई ही ना साबित हो जाए।