छत्तीसगढ़ में जिस कदर कोरोना का संक्रमण बढ़ा और लोगों की मौतें हुई । उसके आंकड़े देखकर किसी के भी पसीने छूट जाएंगे। लेकिन इन मौतों का कारण क्या है ये सबसे बड़ा सवाल है। इस सवाल का जवाब जानने के लिए पिछले महीने हुई कुछ शोध के बारे में जान लिजिए। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV)यानी एनआईवी ने कुछ रिकार्ड साझा किए हैं। जिनमे कोरोना के दूसरी लहर के पहले राज्य में जनवरी से मार्च तक 361 नमूनों की जीनोम की सिक्वेंसिंग की गई। जिसमे 220 नमूने यानी के 60 फीसदी जीनोम डबल वैरिएंट पाए गए।
अब आप जानिए क्या है कोरोना का डबल म्यूटेंट ?
देशभर में अब तक 1.40 लाख नमूनों की जीनोम सिक्वेंसिंग हो चुकी है।डबल म्यूटेंट को बी.1.617 के तौर पर अलग किया गया है। इसमें ई 484 क्यू और एल 452 आर दोनों प्रकार के म्यूटेशन पाए गए हैं। कई देशों में ये वैरिएंट अलग-अलग पाए गए हैं, लेकिन भारत में पहली बार दोनों एक साथ सामने आए हैं।
VIRAL NEWS- रेमडेसिविर के मत भटकिए..क्योंकि इससे अच्छा विकल्प है आप सभी के आसपास
क्या करते हैं ये डबल म्यूटेंट?
दोनों म्यूटेशन वायरस के स्पाइक प्रोटीन में हुए हैं, जो मनुष्यों की कोशिकाओं में वायरस के प्रवेश को आसान बनाते हैं। ई 484 क्यू म्यूटेशन ई 484 के की तरह है जो ब्रिटेन (बी.1.1.7) और दक्षिण अफ्रीकी (बी.1.351) वैरिएंट में पाया गया था। एल452आर म्यूटेशन पहली बार कैलिफोर्निया (बी.1.427, बी.1.429) में पाया गया था, जब वहां कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने लगा था। यह स्पाइक प्रोटीन की ताकत में इजाफा करता है, जिसके कारण कोरोना वायरस ज्यादा संक्रामक हो जाता है।
एल 452 आर वायरस में प्रतिरूप पैदा करने की क्षमता को बढ़ाता है। ई484 क्यू और एल 452 आर के साथ होने से वायरस ज्यादा संक्रामक हो जाता है। वह प्रतिरक्षा प्रणाली को भेदने में भी सक्षम हो जाता है। यानी की पिछली बार जिनकी रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कमजोर थी उनके शरीर में कोविड वायरस ने अटैक किया वो आसानी से रिकवर कर गए। क्योंकि ये14 दिनों का वक्त लेता था। लेकिन इस बार डबल म्यूटेंट के कारण आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर कोविड दोगुनी गति से प्रहार करता है। नतीज 4-7 दिनों के अंदर मरीज पर ये हावी होकर जानलेवा साबित हो रहा है।
भारत में कहां मिला था डबल म्यूटेंट ?
आपको जानकर ये हैरानी होगी कि ये डबल म्यूटेंट पहली बार महाराष्ट्र में मिला था।कई जिलों से वैज्ञानिकों ने नमूने लिए जिनमे से चार जिलों में घातक म्यूटेंट मिला । वहीं कुल 18 जिलों से लिए गए नमूनों में 16 जिले डबल म्यूटेंट से संक्रमित थे। मार्च के नमूनों में 94 में से 65 नमूनों में यह वैरिएंट मौजूद था।तो आप आसानी से समझ सकते हैं कि छत्तीसगढ़ में इतनी बड़ी मार क्यों पड़ी। क्योकि सरकार को पहले से सतर्क नहीं थी। महाराष्ट्र से ये म्यूटेंट प्रदेश में आया होगा जिसके कारण इतनी ज्यादा कहर बरस रहा है।
आपको जानकर ये हैरानी होगी कि ये डबल म्यूटेंट पहली बार महाराष्ट्र में मिला था।कई जिलों से वैज्ञानिकों ने नमूने लिए जिनमे से चार जिलों में घातक म्यूटेंट मिला । वहीं कुल 18 जिलों से लिए गए नमूनों में 16 जिले डबल म्यूटेंट से संक्रमित थे। मार्च के नमूनों में 94 में से 65 नमूनों में यह वैरिएंट मौजूद था।तो आप आसानी से समझ सकते हैं कि छत्तीसगढ़ में इतनी बड़ी मार क्यों पड़ी। क्योकि सरकार को पहले से सतर्क नहीं थी। महाराष्ट्र से ये म्यूटेंट प्रदेश में आया होगा जिसके कारण इतनी ज्यादा कहर बरस रहा है।
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छत्तीसगढ़ में जिस कदर कोरोना का संक्रमण बढ़ा और लोगों की मौतें हुई । उसके आंकड़े देखकर किसी के भी पसीने छूट जाएंगे। लेकिन इन मौतों का कारण क्या है ये सबसे बड़ा सवाल है। इस सवाल का जवाब जानने के लिए पिछले महीने हुई कुछ शोध के बारे में जान लिजिए। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV)यानी एनआईवी ने कुछ रिकार्ड साझा किए हैं। जिनमे कोरोना के दूसरी लहर के पहले राज्य में जनवरी से मार्च तक 361 नमूनों की जीनोम की सिक्वेंसिंग की गई। जिसमे 220 नमूने यानी के 60 फीसदी जीनोम डबल वैरिएंट पाए गए।अब आप जानिए क्या है कोरोना का डबल म्यूटेंट ?देशभर में अब तक 1.40 लाख नमूनों की जीनोम सिक्वेंसिंग हो चुकी है।डबल म्यूटेंट को बी.1.617 के तौर पर अलग किया गया है। इसमें ई 484 क्यू और एल 452 आर दोनों प्रकार के म्यूटेशन पाए गए हैं। कई देशों में ये वैरिएंट अलग-अलग पाए गए हैं, लेकिन भारत में पहली बार दोनों एक साथ सामने आए हैं।VIRAL NEWS- रेमडेसिविर के मत भटकिए..क्योंकि इससे अच्छा विकल्प है आप सभी के आसपासक्या करते हैं ये डबल म्यूटेंट?दोनों म्यूटेशन वायरस के स्पाइक प्रोटीन में हुए हैं, जो मनुष्यों की कोशिकाओं में वायरस के प्रवेश को आसान बनाते हैं। ई 484 क्यू म्यूटेशन ई 484 के की तरह है जो ब्रिटेन (बी.1.1.7) और दक्षिण अफ्रीकी (बी.1.351) वैरिएंट में पाया गया था। एल452आर म्यूटेशन पहली बार कैलिफोर्निया (बी.1.427, बी.1.429) में पाया गया था, जब वहां कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने लगा था। यह स्पाइक प्रोटीन की ताकत में इजाफा करता है, जिसके कारण कोरोना वायरस ज्यादा संक्रामक हो जाता है।एल 452 आर वायरस में प्रतिरूप पैदा करने की क्षमता को बढ़ाता है। ई484 क्यू और एल 452 आर के साथ होने से वायरस ज्यादा संक्रामक हो जाता है। वह प्रतिरक्षा प्रणाली को भेदने में भी सक्षम हो जाता है। यानी की पिछली बार जिनकी रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कमजोर थी उनके शरीर में कोविड वायरस ने अटैक किया वो आसानी से रिकवर कर गए। क्योंकि ये14 दिनों का वक्त लेता था। लेकिन इस बार डबल म्यूटेंट के कारण आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर कोविड दोगुनी गति से प्रहार करता है। नतीज 4-7 दिनों के अंदर मरीज पर ये हावी होकर जानलेवा साबित हो रहा है।भारत में कहां मिला था डबल म्यूटेंट ?
आपको जानकर ये हैरानी होगी कि ये डबल म्यूटेंट पहली बार महाराष्ट्र में मिला था।कई जिलों से वैज्ञानिकों ने नमूने लिए जिनमे से चार जिलों में घातक म्यूटेंट मिला । वहीं कुल 18 जिलों से लिए गए नमूनों में 16 जिले डबल म्यूटेंट से संक्रमित थे। मार्च के नमूनों में 94 में से 65 नमूनों में यह वैरिएंट मौजूद था।तो आप आसानी से समझ सकते हैं कि छत्तीसगढ़ में इतनी बड़ी मार क्यों पड़ी। क्योकि सरकार को पहले से सतर्क नहीं थी। महाराष्ट्र से ये म्यूटेंट प्रदेश में आया होगा जिसके कारण इतनी ज्यादा कहर बरस रहा है।कितना हो चुका है अब तक प्रसार ?नेशनल सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल (NCDC)के महाराष्ट्र में कम सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग हुई है। इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता कि डबल म्यूटेंट वैरिएंट का कितना प्रसार हुआ है। वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों की माने तो देशभर में 1.40 लाख नमूनों की जीनोम सिक्वेंसिंग की गई है। दूसरी लहर के लिए डबल म्यूटेंट वायरस को जिम्मेदार माना जा सकता है। हालांकि, विशेषज्ञ रिपोर्ट का विश्लेषण कर रहे हैं और अभी अंतिम रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता।VIRAL NEWS- रेमडेसिविर के मत भटकिए..क्योंकि इससे अच्छा विकल्प है आप सभी के आसपास