पटना,।बिहार में कोरोनावायरस संक्रमण को लेकर यह खतरनाक खुलासा है। पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS Patna) की सघन चिकित्सा इकाई (Intensive Care Unit or ICU) में भर्ती होने वाले कोरोना संक्रमितों में महज 20 फीसद ही स्वस्थ होकर घर लौट पा रहे हैं। यह आंकड़ा 2021 में मिले कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन को लेकर हुए अध्ययन में सामने आया है। जो 20 फीसद मरीज स्वस्थ हो रहे हैं, उन्हेंं भी अन्य परेशानियों की वजह से कुछ दिन और उपचार की जरूरत पड़ रही है।
कोरोना के नए स्ट्रेन से मल्टी ऑर्गेन डिसआर्डर
पटना एम्स पल्मोनरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. दीपेंद्र कुमार राय ने बताया कि जो मरीज आइसीयू में भर्ती हो रहे हैं, उन्हेंं किडनी, लंग्स और लिवर की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। 70 फीसद मरीजों में किडनी, सौ फीसद मरीजों में लंग्स और 60 फीसद मरीजों में लिवर की परेशानी हो रही है। मेडिसीन विभागाध्यक्ष डॉ. रवि ने बताया कि नया स्ट्रेन मल्टी ऑर्गन डिसऑर्डर का कारण बन रहा है। इसके कारण मरीज की मौत हो जा रही है।
इस बार कम स्वस्थ हो रहे आइसीयू में भर्ती मरीज
एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष व एम्स के डीन डॉ. उमेश भदानी ने बताया कि पिछले साल भी आइसीयू में भर्ती होने वाले मरीजों की हालत ज्यादा गंभीर होती थी, लेकिन इस बार स्वस्थ होने वालों की संख्या कम है। बेड की कमी के कारण बाहर में ही मरीज कई दिनों तक रह जाते हैं और जब तक भर्ती होते हैं, स्थिति संभलने लायक नहीं रह जाती है। इसी वजह से अधिक लोगों की मौतें हो रही हैं।
विशेषज्ञ बताते है कि पिछले वर्ष मरीज छह-सात दिनों में ऑक्सीजन देने के बाद बेहतर रिस्पॉन्स करते थे। वे स्वस्थ होकर घर लौट जा रहे थे। इस बार आइसीयू में जो मरीज जा रहे है, उन्हेंं दवाएं व प्लाज्मा देने के बाद भी स्वस्थ नहीं किया जा पा रहा है। सौ फीसद ऑक्सीजन व दवाएं भी बेहतर परिणाम नहीं दे पा रही हैं। डॉ. दीपेंद्र राय ने बताया कि बड़ी परेशानी यह भी है कि इलाजरत 20 फीसद मरीज मानसिक रूप से टूट जा रहे हैं। इस वजह से उनका ब्लड प्रेशर सामान्य नहीं रहा पा रहा है।
मरीजों के इलाज में लगे हें तीन विभागों के डॉक्टर
एम्स की आइसीयू की व्यवस्था मेडिसीन, पल्मोनरी की एनेस्थीसिया के डॉक्टरों के जिम्मे है। तीनों विभागों के सीनियर डॉक्टर अपनी पूरी टीम के साथ तीन-तीन शिफ्टों में उपचार में जुटे हैं।
अस्पताल से लौटने वाले मरीज रखें इन बातों का ध्यान
खून का थक्का नहीं बनने के लिए दवा लें। खानपान पर विशेष ध्यान दें। श्वास संबंधी योग व व्यायाम करें। खाने फल व सब्जी को प्रमुख दें। परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
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