कोरोना को हराने के लिए सकारात्मक सोच व मजबूत इच्छाशक्ति बेहद जरूरी है। परिजनों का मरीजों के प्रति सहानुभूति का भाव उनके आत्मविश्वास को और बढ़ाता है। आत्मविश्वास मजबूत है तो कोरोना से जंग में मदद मिलती है। पिछले लगभग एक वर्षों के दौरान कोरोना महामारी ने जो डर व भय का माहौल बनाया है उससे निपटने के उपायों पर चर्चा करते हुए नवाचारी शिक्षक राजेश कुमार सूर्यवंशी ने प्रेस को बताया कि कोरोना के मरीजों के भले ही हम पास नहीं जा सकते किंतु उन्हे मोरल सपोर्ट जरूर दे सकते है। उन्हे फोन पर अच्छे से सकारात्मक चर्चा कर बीमारी को पराजित करने में हम उनकी मदद कर सकते है।
बतौर मोटिवेटर नवाचारी शिक्षक राजेश सूर्यवंशी ने बताया कि अक्सर देखा जाता है कि संक्रमण की पुष्टि की रिपोर्ट आते ही मरीज हड़बड़ाने लगता है। यह वह परिस्थिति होती है जब आक्सीजन लेवल तेजी से नीचे गिरने लगता है। इसी समय यदि हम मरीज के साथ पूरी आत्मीयता से चर्चा करते हैं। मरीज को यह समझाने का प्रयास किया जाता है कि उन्हें डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। मरीज के साथ कोरोना को लेकर चर्चा की जाती है। उन्हें यह समझाया जाता है कि होम आइसोलेशन में नियमों का पालन कर तथा दवाइयों के सेवन से वे पूरी तरीके से स्वस्थ हो सकते हैं। घर में रहने के दौरान लगातार पल्स आक्सीमीटर से अपना आक्सीजन लेवल चेक करते रहें। नकारात्मक चीजों से दूर रहें। अपने आप को व्यस्त रखने की कोशिश करें। मरीज से थोड़ी देर की आत्मीय चर्चा के तत्काल बाद यह पूछा जाता है कि अब आपको कैसा लग रहा है। अधिकांश मरीज यही बोलते हैं कि कोरोना संक्रमण की पुष्टि की रिपोर्ट आने के बाद जो घबराहट उनमें आई थी वह चिकित्सकों व परिजनों से चर्चा के बाद काफी हद तक दूर हो गई है। श्री सूर्यवंशी कहते है कि संक्रमण के इस दौर में रोग से ज्यादा मन का रोग हावी हो रहा है। संक्रमण की चपेट में आने वालों में से अधिकांश मरीज डिप्रेशन, पैनिक, एंजायटी और इनसोमिया (नींद नहीं आना) के भी शिकार हो रहे हैं। यही नहीं कुछ मामले तो ऐसे भी सामने आए जिनके मन में आत्महत्या का विचार भी रहा। पर इसके विपरित यह देखा गया कि कोरोना से जंग जीतने वालों ने उचित उपचार के साथ सकारात्कमता को भी अपनाया। डाक्टर्स की मानें तो 90 प्रतिशत रोगी अपनी सकारात्मक सोच के कारण जल्दी स्वस्थ हो रहे हैं। ऐसे में यदि व्यक्ति सकारात्मक और खुश मिजाज रहे तो डर कम होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इससे रिकवरी भी बेहतर व जल्दी होती है। डर का बिगड़ती सेहत से गहरा नाता है। जिन्हें पहले से कोई अन्य रोग है वे और भी ज्यादा निराश व डरे रहते हैं। इससे उनके दिल व श्वसन तंत्र पर और भी बुरा प्रभाव पड़ता है। लोगों को खुद पर और अपने चिकित्सक पर विश्वास करना ही होगा तभी हम कोरोना की जंग से जीत दर्ज कर पायेंगे। इसके साथ ही शिक्षक राजेश सूर्यवंशी ने आम जनों से अपील करते हुए कहा है कि सोशल मीडिया में नकारात्मक खबरों को प्राथमिकता देने के बजाय सकारात्मक खबरों को ज्यादा शेयर करें ताकि डर का माहौल ही न बने बल्कि आत्मविश्वास और खुशनुमा माहौल निर्मित हो सके। यदि हम सब प्रयास करें तो ऐसा माहौल जरूर तैयार किया जा सकता है।
सकारात्मक सोच व मजबूत इच्छाशक्ति से दे कोरोना को मात- राजेश सूर्यवंशी
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