कोरोना वायरस के खिलाफ जीवनरक्षक दवाओं जैसे रेमडेसिविर डेक्सामेथासोन समेत कई अन्य दवाओं को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अधिसूचित करने की मांग। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र से की मांग। देश में कोरोना की दूसरी लहर जारी।
Shashank Pandey
Thu, 29 Apr 2021 02:45 PM (IST)
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नई दिल्ली, एजेंसी। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर में रेमडेसिविर समेत कई जीवरक्षक दवाओं की अहमियत बढ़ा दी है। इसको देखते हुए केंद्र सरकार से कोरोना की दवाओं को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अधिसूचित करने की मांग की गई है। ये मांग छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उठाई है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर कोरोना संक्रमण के प्रबंधन के लिए आवश्यक दवाओं को आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत अधिसूचित करने का अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्र में लिखा है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के अंतर्गत औषधियों को आवश्यक वस्तुओं में शामिल किया गया है। भारत सरकार ने इससे पहले भी गत 13 मार्च 2020 को कोविड-19 से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए मास्क एवं हैंड सेनेटाइजर को आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के अंतर्गत अधिसूचित किया था जिससे महामारी की पहली लहर से निपटने में काफी सहायता मिली थी।उन्होंने पत्र में लिखा कि कोरोना की वजह से प्रदेश में बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर मरीजों के उपचार हेतु रेमेडेसिविर इंजेक्शन, आइवरमेक्टिन टैबलेट्स, एनोक्सापारिन इंजेक्शन, डेक्सामेथासोन टैबलेट एवं इंजेक्शन, टोसीलीजुमब इंजेक्शन और फेविपिराविर कैप्सूल की मांग बढ़ गयी है। इन औषधियों की बड़ी मांग के कारण इनके जमाखोरी एवं काला बाजारी की शिकायतें भी लगातार प्राप्त हो रही है जिसकी वजह से मरीजों के उपचार में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
बघेल ने केन्द्रीय मंत्री को बताया हैं कि प्रदेश सरकार ने उपरोक्त औषधियों की काला बाजारी को रोकने के कई निर्णायक कदम उठाए हैं। इसमें अस्पतालों में दवाओं के वितरण एवं उपयोग पर लगातार निगरानी, विशेष टास्क फोर्स का गठन, आकस्मिक जाँच एवं काला बाजारी की खबर मिलने पर तत्काल दबिश इत्यादि शामिल हैं। उपरोक्त औषधियों को आवश्यक वस्तु अधिनियम,1955 के अंतर्गत अधिसूचित करने से प्रशासन को काला बाजारी रोकने तथा गुणवत्ता एवं आपूर्ति सुनिश्चित करने में आवश्यक सहायता प्राप्त होगी।