नई दिल्ली। उच्च न्यायालयों के जजों को सुनवाई के दौरान अनावश्यक और बिना साेचे-समझे टिप्पणी करने से बचना चाहिए। क्योंकि वे जाे कहते हैं, उनके काफी गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। यह बात सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, एल नागेश्वर राव, एस रवींद्र भट की बेंच ने काेराेना के मामले में सुनवाई के दाैरान कही।
अदालत ने कहा, “जजाें काे अपनी बात साेच-विचार करके ही कहनी चाहिए। जब हम उच्च न्यायालय के किसी फैसले की आलोचना कर रहे हाेते हैं, तब भी हम हमारे दिल में क्या है, यह नहीं कहते। संयम बरतते हैं। हम उम्मीद करेंगे कि इन मुद्दों से निपटने के लिए उच्च न्यायालयों को स्वतंत्रता दी गई है।’ इस दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “कभी-कभी राज्यों के वकीलों से उचित प्रतिक्रिया न मिलने या असंगत दलीलों पर न्यायाधीश कुछ सख्त टिप्पणियां करते हैं। उन्हें किसी के खिलाफ नहीं माना जाना चाहिए।’
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था- चुनाव आयोग के अफसरों पर हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए
हाल ही में काेराेना मामले में सुनवाई के दाैरान मद्रास हाई काेर्ट ने चुनाव आयोग पर सख्त टिप्पणी की। अदालत ने कहा था कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के लिए चुनाव आयोग सबसे अधिक जिम्मेदार है। उसके अधिकारियों पर हत्या का मामला दर्ज हाेना चाहिए। इसी तरह से दिल्ली हाई काेर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों पर सख्त टिप्पणियां की थीं।